’यानदेक्स’ ने प्रदर्शित की पहली चालकहीन टैक्सी
रूस की एक सबसे बड़ी इण्टरनेट कम्पनी ’यानदेक्स’ ने पहली बार अपनी चालकरहित टैक्सी का सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शन किया।
’यानदेक्स’ ने अपनी इस चालकरहित टैक्सी को बनाने में जिस तक्नोलौजी का इस्तेमाल किया है, वह तक्नोलौजी कम्पनी ने ख़ुद ही तैयार करवाई है। इसके अलावा इस मोटरकार के निर्माण में उन उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है, जो बाज़ार में आसानी से ख़रीदे जा सकते हैं। उदाहरण के लिए इस टैक्सी के विडियो में साफ़-साफ़ यह दिखाई दे रहा है कि कार के संचालन में विडियोकार्ड एनविडिया जीटीएक्स जीपीयू और वेलोडिन के लीडर का इस्तेमाल किया जा रहा है।
कम्पनी के प्रतिनिधियों ने बताया कि उनके विशेषज्ञों ने ’यानदेक्स सर्विस’, ’यानदेक्स कार्ता’ और ’यानदेक्स निविगातर’ नामक अपनी सेवाओं के लिए बनाए गए आविष्कारों का भी इस्तेमाल किया है।
’यानदेक्स टैक्सी’ के प्रेस-सचिव व्लदीमिर इसाएफ़ ने बताया — हमने ’यानदेक्स निविगातर’ कम्पनी के अनाम ग्राहकों की सूचनाओं का इस्तेमाल करके यह पता लगाया कि शहर की सड़कों पर जाम लगे होने की स्थिति में विभिन्न कारचालक अपने कारेंं कैसे और किस गति से चलाते हैं और सड़क पर घटने वाली विभिन्न घटनाओं का सामना कैसे करते हैं।
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आशा है कि चालकरहित टैक्सी सड़क पर लगे हुए जामों और सामने आने वाली बाधाओं के दौरान कहीं फ़ँसेगी नहीं क्योंकि ’यानदेक्स’ द्वारा उनकी कृत्रिम स्मृति में जो कम्प्यूटर कार्यक्रम लोड किया गया है और मोटर-कार की जो कम्प्यूटर-आँख है, वे उसे कहीं अटकने नहीं देंगी। इस चालकरहित टैक्सी की तक्नोलौजी भी इसमें टैक्सी की पूरी-पूरी सहायता करेगी। टैक्सी की कम्प्यूटर-आँख ट्रैफ़िक चिह्नों को पढ़ने और पार्किंग में ख़ाली जगह खोजने में टैक्सी की सहायता करती है।
स्टेयरिंग, झाड़ू लिए हुए औरत और दूसरी बाधाएँ
आजकल ’यानदेक्स’ कम्पनी इन स्वचालित टैक्सियों के पाँचवे स्तर की मोटर-कार के परीक्षण कर रही है। यह तक्नोलौजी ऐसी है कि मोटर-कारों के संचालन में मनुष्य की सहभागिता की ज़रा भी ज़रूरत नहीं है। इससे पहले कोई भी तक्नोलौजी इस काम में इतनी सफ़ल नहीं हुई है।
सितम्बर 2016 में उबेर कम्पनी ने पिट्सबुर्ग की सड़कों पर कुछ स्वचालित टैक्सियाँ चलाई थीं। इन टैक्सियों में सफ़र करने वाले यात्रियों ने बताया कि वे यह देखकर आश्चर्यचकित रह गए कि मानवरहित टैक्सी कितनी कुशलता और सुरक्षा के साथ सड़क पर चल रही है। लेकिन कई बार वे टैक्सियाँ स्वचालित मोड से बाहर आ जाती थींं। शायद इसका कारण यह रहा होगा कि पिट्सबुर्ग स्वचालित टैक्सियों के लायक नहीं है। पिटसबुर्ग में क़रीब 500 पुल हैं और इन पुलों के आसपास कोई इमारत नहीं है। इसलिए जीपीएस भी ठीक-ठीक दिशा-निर्धारण नहीं कर पा रहा था। उबेर कम्पनी के कर्मचारियों को बार-बार टैक्सियों का संचालन अपने हाथ में लेना पड़ रहा था।
इसी साल बीते अप्रैल माह में अमरीका की अरिज़ोन स्टेट के फ़िनिक्स शहर में लोगों से यह कहा जाने लगा कि वे चालकरहित मिनीवैन टैक्सियों का इस्तेमाल करके देखें। ये टैक्सियाँ गूगल की एक सहायक कम्पनी ने ख़रीदी थीं। लेकिन इन टैक्सियों में भी एक चालक बैठा होता था। गूगल की इन चालकरहित टैक्सियों को भी कभी-कभी बड़ी अजीब-सी स्थिति का सामना करना पड़ जाता था। वे यह नहीं समझ पाती थीं कि यदि उनके सामने अचानक बत्तखों को भगाती हुई झाड़ू लिए हुए कोई औरत आ जाए तो उन्हें क्या करना है या फिर कोई राहगीर अचानक ही टैक्सी के बोनट पर गिर पड़े तो वे क्या करें।
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रूस-भारत संवाद से बात करते हुए ’यानदेक्स’ कम्पनी के प्रतिनिधि मत्वेयी किरेइफ़ ने कहा — हमें यह नहीं मालूम है कि इन अमरीकी कम्पनियों ने अपनी टैक्सियों को स्वचालित बनाने में कितनी सफलता पाई है और उनकी टैक्सियाँ हमारी चालकरहित टैक्सी से कितनी ज़्यादा विकसित या अल्पविकसित हैं। ये कम्पनियाँ अपनी चालकरहित टैक्सियों की सिर्फ़ तस्वीरें ही दिखाती हैं, लेकिन वे चलने में कैसी हैं, इस बारे में कोई कुछ भी नहीं जानता है। हमें तो यह भी नहीं मालूम है कि इन टैक्सियों में किस तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने बताया — जबकि हमारी कम्पनी ’यानदेक्स’ शहर की सड़कों पर अपनी चालकरहित टैक्सी को चलाकर देखना चाहती है। लेकिन हमारे यहाँ अभी तक कानूनी तौर पर इसकी इजाज़त नहीं है। लेकिन यह परीक्षण करने से पहले हम सभी तरह की इजाज़तें पा लेंगे। फिर भी ऐसा करना सम्भव होगा या नहीं, हम यह नहीं जानते हैं क्योंकि फ़िलहाल रूस के कानून इसकी इजाज़त नहीं देते हैं। इसलिए हमारी स्वचालित कार भी कम्पनी के कर्मचारियों के साथ ही सड़क पर उतारी जाती है।
’यानदेक्स’ की इस स्वचालित ’टोयोटा’ मोटर-कार का विडियो देखने वाले लोगों का ध्यान विशेष रूप से इस बात की ओर गया कि कार में लगा स्टीयरिंग व्हील लगातार बहुत तेज़ी से घूमता रहता है। कम्पनी के प्रतिनिधि ने बताया — स्टीयरिंग व्हील के 90 डिग्री तक घूमने का मतलब यह नहीं है कि मोटर-कार के पहिए भी उसी गति से घूम जाते हैं। स्टीयरिंग व्हील का घूमना इस मोटर-कार की तकनीकी विशेषता है। यदि ध्यान से देखा जाए तो इस कार का स्टीयरिंग बेकार में ही नहीं घूमता, बल्कि कार उसी समय पैंतरे बदलती है।
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