शिखर वार्ता से भारत रूस रणनीतिक सहयोग और मजबूत
दोनों देशों ने आपसी सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में 16 समझौतों पर हस्ताक्षर किए
सतत बदलती वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों में रूस आगे भी भारत का एक भरोसेमंद रणनीतिक सहयोगी बना रहेगा। व्लदीमिर पूतिन और नरेन्द्र मोदी की सह-अध्यक्षता में दो देशों के बीच प्रतिनिधिमण्डल स्तर की वार्ता के बाद, दोनों पक्षों ने आपसी सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में अरबों डालर मूल्य के 16 समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और निवेश, अन्तरिक्ष और ‘स्मार्ट सिटी’ के क्षेत्रों में सहयोग से जुड़े समझौते शामिल हैं।
नरेन्द्र मोदी ने इस शिखर वार्ता को बेहद सार्थक बताया। व्लदीमिर पूतिन के साथ सँयुक्त पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा — हमारी बातचीत के बेहद सार्थक नतीजे निकले हैं जो हमारे रणनीतिक सहयोग के प्राथमिकता प्राप्त विशेष स्वरूप को साफ़ तौर पर स्थापित करते हैं। इनसे भविष्य में गहन सुरक्षा और आर्थिक रिश्तों की बुनियाद बनी है। उन्होंने रूस के साथ भारत के प्राथमिकता प्राप्त विशिष्ट रणनीतिक सहयोग की प्रगाढ़ता को एक रूसी कहावत कहकर जताया। उन्होंने कहा — एक पुराना दोस्त दो नए दोस्तों से बेहतर होता है।
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दोनों देशों के बीच सैन्य-तकनीकी सहयोग को भारत-रूस रणनीतिक सहयोग का एक प्रमुख स्तम्भ माना जाता है। उल्लेखनीय है कि भारत की सशत्र सेनाओं के लिए 70 प्रतिशत सैन्य उपकरणों और हथियारों की आपूर्ति रूस ही करता है।
शिखर वार्ता के अन्त में, 16 समझौतों पर हस्ताक्षरों के अलावा दोनों देशों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग से जुड़े क़रीब दस अरब डालर के तीन बड़े अनुबन्धों पर अपनी सहमति का भी ऐलान किया। इनमें पाँच अरब डालर से अधिक क़ीमत वाली लम्बी दूरी तक मार करने वाली एस-400 त्रिऊम्फ वायु सुरक्षा मिसाइल प्रणाली की ख़रीद, चार एडमिरल ग्रिगोरविच श्रेणी के परियोजना 11356 के निर्देशित मिसाइल हथियारों से लैस आलोपन (स्टैल्थ) तकनीक वाले फिग्रेट युद्धपोतों की ख़रीद और भारत में 200 कामोव-226टी हैलिकॉप्टरों के उत्पादन के लिए सँयुक्त कम्पनी की स्थापना से सम्बन्धित समझौते शामिल हैं। कामोव-226टी हैलिकॉप्टरों और ’आलोपन’ तकनीक से लैस फिग्रेट युद्धपोतों से जुड़े सौदों की क़ीमत लगभग एक अरब डालर और तीन अरब डालर है।
एस-400 वायु सुरक्षा मिसाइल प्रणाली विश्व की एकदम आधुनिकतम वायु सुरक्षा मिसाइल प्रणाली है। यह दूसरी ओर से आने वाले शत्रु के लड़ाकों और बमवर्षक विमानों, मिसाइलों और यहाँ तक कि 400 कि.मी. दूर स्थित ड्रोन विमानों को भी रास्ते में ही पकड़कर मार गिराने में सक्षम है।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है की रूस और भारत द्वारा इन समझौतों पर हस्ताक्षर करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाल के महीनों में ऐसा माना जाने लगा था कि भारत अपने पारम्परिक रक्षा सहयोगी और रणनीतिक साझेदार रूस से दूरी बना रहा है। दरअसल, भारत ने अमरीका के साथ साजो-सामान के आदान प्रदान के बारे में एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत अमरीका की भारत के सैन्य ठिकानों तक पहुँच हो गई है।
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कामोव-226टी हेलीकॉप्टरों का मिलकर उत्पादन करने, ‘आलोपन (स्टील्थ) तकनीक से लैस फिग्रेट युद्धपोतों’ के निर्माण और अन्य रक्षा उपकरणों की ख़रीद और निर्माण पर समझौते भारत की प्रौद्योगिकी प्राथमिकताओं और सुरक्षा प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं। जैसाकि प्रधानमन्त्री मोदी ने कहा — ये समझौते ‘मेक इन इण्डिया’ परियोजना के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी हमारी सहायता करते हैं।
वार्ता के दौरान दोनों देश इस साल के आख़िर तक एक सालाना सैन्य औद्योगिक सम्मेलन करने पर भी सहमत हुए हैं। आशा है कि इस सम्मेलन से दोनों देशों के कारोबारियों के बीच सहयोग शुरू करने और उसे बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। दो देशों के द्वारा जारी सँयुक्त वक्तव्य के अनुसार, भारत-रूस सैन्य औद्योगिक सम्मेलन रूस से ख़रीदे गए सैन्य उपकरणों के कलपुर्जों के उत्पादन, उनकी मरम्मत और उनके रख-रखाव सम्बन्धी समस्याओं को हल करेगा। इन सँयुक्त उद्यमों में निजी क्षेत्र ‘मेक इन इण्डिया’ परियोजना के तहत एक बड़ी भूमिका निभाएगा।
बैठक के दौरान दोनों देशों ने परमाणु ऊर्जा, तेल और गैस क्षेत्रों सहित पारस्परिक ऊर्जा सहयोग पर विस्तृत रूप से विचार-विनिमय किया। व्लदीमिर पूतिन और नरेन्द्र मोदी ने एक विडियो कान्फ़्रेन्स की मदद से कुडनकुलम परमाणु बिजलीघर में तीसरी और चौथी इकाइयों की आधारशिला रखने सम्बन्धी समारोह में भी भाग लिया। इस अवसर पर नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कुडनकुलम एटमी बिजलीघर की दूसरी यूनिट को समर्पित किया जाना और तीसरी यूनिट व चौथी यूनिट की आधारशिला रखा जाना इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग का स्पष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा — रूस भारत में कम से कम आठ रिएक्टर और बनाएगा। इस तरह परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में हमारे व्यापक सहयोग से हमारे दोनों देशों को काफी लाभ पहुँचेगा।
सँयुक्त वक्तव्य में दोनों देशों ने कुडनकुलम एटमी बिजलीघर में पाँचवे यूनिट और छठे यूनिट के निर्माण के लिए प्रारम्भिक समझौते पर और क्रेडिट प्रोटोकोल पर किए जा रहे विचार-विमर्श में प्रगति को रेखांकित किया।
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कुडनकुलम परमाणु बिजलीघर के महत्व पर ज़ोर देते हुए व्लदीमिर पूतिन ने कहा — यह एटमी बिजलीघर दुनिया की अनूठी अभिनव रूसी परमाणविक प्रौद्योगिकी के आधार पर रूसी विशेषज्ञों ने बनाया है, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण योग देगा। उन्होंने कहा कि रूस आगामी 20 सालों में भारत में कम से कम 12 रिएक्टर बनाएगा।
नरेन्द्र मोदी ने रूस के तेल व गैस उद्योग में भारतीय कम्पनियों की उपस्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि सिर्फ़ पिछले चार महीनों में ही भारतीय कम्पनियों ने रूस के तेल और गैस उद्योग में लगभग साढ़े 5 अरब डालर का निवेश किया है। उन्होंने कहा — राष्ट्रपति पूतिन के समर्थन से हम अपने सम्बन्धों के दायरे का विस्तार करने को तैयार हैं। हम दोनों देशों के बीच एक सीधी गैस पाइपलाइन बिछाना चाहते हैं और इस परियोजना की पूर्ति की सम्भावनाओं का मिलकर अध्ययन कर रहे हैं।
दो देशों के बीच हुए एक और समझौते के अनुसार, रूस की प्रमुख तेल कम्पनी ’रोसनेफ्त’ ऑयल कम्पनी ’कमोडिटी ट्रेडर त्रफिगुरा’ तथा निजी निवेश समूह ’यूनाइटेड कैपिटल पार्टनर्स’ ने मिलकर 10 अरब 90 करोड़ डालर में भारतीय कम्पनी एस्सार ऑयल के 98 फ़ीसदी शेयर ख़रीद लिए हैं।
भारत और रूस ने द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से एक प्रारम्भिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों पक्षों ने भारत के ’राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढाँचा कोष’ और रूस के ’प्रत्यक्ष निवेश कोष’ के बीच एक अरब डालर के एक नए निवेश कोष की स्थापना करने के बारे में भी एक समझौता किया है। इससे दोनों देशों में उच्च प्रौद्योगिकी निवेश को सुविधाजनक बनाया जा सकेगा।
दोनों देशों ने आतंकवाद और मादक-पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए अन्तरराष्ट्रीय सूचना सुरक्षा सहयोग से जुड़े एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं।
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