ब्रिक्स शांति,सुधार और उद्देश्यपूर्ण सक्रिय कार्रवाई के लिए आवाज उठाने वाला समूह
मोदी ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ मिलकर एक सँयुक्त मोर्चा बनाने की अपील की
15 अक्तूबर को गोआ में आयोजित ब्रिक्स शिखर-सम्मेलन में भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कहा — ब्रिक्स देश शान्ति, सुधार और उद्देश्यपूर्ण सक्रिय कार्रवाई के लिए आवाज़ उठाते हैं। उन्होंने ब्रिक्स समूह के सदस्य देशों से आम आकाँक्षाओं और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए और अधिक सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की।
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कहा — मैं ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिणी अफ्रीका और भारत का एक साथ, एक जैसा विकास करने में विश्वास रखता हूँ। ब्रिक्स के सदस्य देशों का एक जैसा विकास दुनिया के विकास तथा आर्थिक समृद्धि के लिए एक अनिवार्य शर्त है। दुनिया की कुल जनसंख्या के 43 प्रतिशत लोग ब्रिक्स समूह के पाँच देशों में रहते हैं और दुनिया की कुल अर्थव्यवस्था का 25 प्रतिशत हिस्सा ब्रिक्स देशों के हिस्से में आता है।
बड़ी कामयाब रही गोवा में रूस-भारत शिखर-वार्ता
भारत के प्रधानमन्त्री ने कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था का विकास करने और उसे फिर से पुनर्जीवित करने के लिए एक साफ़ रोडमैप, एक स्पष्ट कार्यक्रम बनाने की ज़रूरत है। आज हालत यह है कि भारत और चीन की आर्थिक विकास-दर बहुत ऊँची है। रूस और चीन की अर्थव्यवस्थाओं में 2015 में कुछ ठहराव दिखाई दिया है और दक्षिणी अफ़्रीका की अर्थव्यवस्था के सामने भी अनेक तरह की कठिनाइयाँ पैदा हुईं हैं। लेकिन इस साल दक्षिणी अफ़्रीका का सकल घरेलू उत्पाद बढ़ने की उम्मीद है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, 2016 में बोलते हुए प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कहा — यदि विकास के लिए लागू किए गए नए क़दम, विकास के लिए अपनाए गए नए तरीके कामयाब हो जाते हैं तो कुशल प्रतिभाओं, विचारों, प्रौद्योगिकी और पूँजी का सीमाओं के आर-पार अबाध प्रवाह शुरू हो जाना चाहिए। ब्रिक्स समूह के सदस्य देशों के पिछले शिखर-सम्मेलनों में ब्रिक्स देशों के व्यवसायिकों और उद्यमियों के लिए ब्रिक्स के देशों द्वारा वीजा प्रक्रिया को आसान बनाने की चर्चा की गई थी। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस काम नहीं किया गया है और न ही कोई ठोस प्रस्ताव रखा गया है।
आतंकवाद के ख़िलाफ़ सँयुक्त मोर्चा
ब्रिक्स देशों के बीच अधिक से अधिक आर्थिक एकीकरण पर ज़ोर देते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आर्थिक समृद्धि सीधे-सीधे भू-राजनीति से जुड़ी हुई है। दोनों का आपस में गहरा सम्बन्ध है। नरेन्द्र मोदी ने कहा — हमारी बढ़ती हुई परस्पर निर्भरता का मतलब है कि आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ते हमारे क़दमों को उभरते हुए भू-राजनीतिक संदर्भों से अलग नहीं किया जा सकता है।
उन्नत तक्नोलौजी देकर रूस भारत में एटम उद्योग का विकास करेगा
भारत के प्रधानमन्त्री ने अपने भाषण में पाकिस्तान का सवाल उठाया और परोक्ष रूप से चीन से यह अपील की कि वह पाकिस्तानी आतंकवादी मौलाना मसूद अज़हर पर सँयुक्त राष्ट्र संघ में प्रतिबन्ध लगाने के लिए भारत द्वारा किए जा रहे प्रयासों में बाधाएँ पहुँचाना बन्द करे।
नरेन्द्र मोदी ने कहा — हम सभी देश इस बात में विश्वास रखते हैं कि आतंकवादियों को सज़ा मिलनी चाहिए, न कि उन्हें पुरस्कृत किया जाना चाहिए। मोदी ने पाकिस्तान को आतंकवाद का ’जन्म-दाता’ देश बताया। उन्होंने कहा — हमारी आर्थिक समृद्धि को सीधा-सीधा और गम्भीर ख़तरा आतंकवाद से है। दुख की बात तो यह है कि आतंकवाद को जन्म देने वाला देश भारत का पड़ोसी देश है। भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कहा — आतंकवाद ने मध्य-पूर्व, पश्चिमी एशिया, यूरोप और दक्षिणी एशिया को अपने फन्दे में फँसा लिया है। उन्होंने ब्रिक्स समूह के सदस्य देशों से अपील की कि सभी ब्रिक्स देशों को आतंकवाद की मिलकर निन्दा करनी चाहिए और उसके ख़िलाफ़ एक साथ मिलकर क़दम उठाने चाहिए।
भारत की आतंकवाद-रोधी पहलों को रूस का समर्थन
17वीं रूसी-भारतीय वार्षिक शिखर-वार्ता में रूस ने आतंकवाद विरोधी वैश्विक सहयोग के लिए भारत द्वारा की जा रही अपील का समर्थन किया।
युद्ध होने पर भारत रूस से कैसी सहायता चाहता है?
रूस-भारत शिखर-वार्ता के बाद दो देशों की तरफ़ से जारी सँयुक्त घोषणापत्र में कहा गया है — भारत और रूस आतंकवाद के कारण पैदा होने वाले ख़तरे को पहचानते हैं। उन्हें विश्वास है कि आतंकवाद के सिलसिले में सँयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जो प्रस्ताव पारित किए गए हैं, उन पर पूरी तरह से अमल किया जाएगा। सँयुक्त राष्ट्र संघ की वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति को लागू करते हुए दोहरे मापदण्ड नहीं अपनाए जाएँगे और आतंकवाद की चुनौती का सभी देश मिलकर मुक़ाबला करेंगे।
सँयुक्त घोषणापत्र में कहा गया है — भारत और रूस आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकाने को नष्ट करने और आतंकवादी विचारधारा के प्रसार का मुकाबला करने के साथ-साथ उस कट्टरपन्थी विचारधारा को रोकने के लिए भी आवाज़ उठाते हैं, जिसके कारण आतंकवाद पैदा होता है। वे आतंकवादियों की भर्ती पर रोक लगाने, आतंकवादियों के एक देश से दूसरे देश में आने-जाने और उनकी यात्राओं को रोकने, सीमाओं को मज़बूत बनाने और आतंकवादियों के प्रत्यर्पण को व आतंकवाद से सम्बन्धित कानूनों को प्रभावी बनाने पर ज़ोर देते हैं।
भारत चाहता है कि सँयुक्त राष्ट्र संघ अन्तरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सन्धि लागू करे। अपने इस अभियान में भारत ब्रिक्स के सदस्य देशों का समर्थन चाहता है। इस सन्धि का मसविदा भारत ने 1996 में प्रस्तुत किया था। यह सन्धि कानूनी तौर पर सभी देशों को इसके लिए बाध्य करेगी कि वे न तो आतंकवादी संगठनों को धन देंगे और न ही उन्हें सुरक्षित पनाह उपलब्ध कराएँगे।
भारत के आकाश में रूसी ’मिग’ विमानों का राज है
ब्रिक्स व्यापार परिषद
अपनी शिखर बैठक के बाद ब्रिक्स देशों के नेताओं ने ब्रिक्स व्यापार परिषद को सम्बोधित किया। इस परिषद की स्थापना सन् 2013 के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार और निवेश सम्बन्धों को मजबूत बनाने तथा ब्रिक्स देशों के व्यावसायिकों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।
भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कहा — हमारे ब्रिक्स देशों के बीच आपसी व्यापारिक सहयोग को मजबूत बनाने में हमारे व्यावसायिक समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके बीच आपसी सहयोग से हमारे देशों की सम्पन्नता और समृद्धि में वृद्धि होती है।
रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने कहा कि रूस की पहल पर ही ब्रिक्स व्यापार परिषद की स्थापना की गई थी। इस परिषद ने हमारे देशों के बीच आपसी आरथिक सम्बन्धों को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि नए ब्रिक्स विकास बैंक को भी ब्रिक्स व्यापार परिषद के साथ सहयोग करना चाहिए।
चीन के राष्ट्रपति शी चिन फिंग ने कहा कि चीन ब्रिक्स व्यापार परिषद द्वारा रखे गए सभी प्रस्तावों और पहलों का समर्थन करेगा क्योंकि ये प्रस्ताव ब्रिक्स दशों के बुनियादी ढाँचे के विकास से जुड़े होते हैं।
15 अक्तूबर को ब्रिक्स व्यापार परिषद की बैठक हुई, जिसमें यह प्रस्ताव रखा गया कि ब्रिक्स देशों को अपनी साख निर्धारण एजेन्सी की स्थापना करनी चाहिए।
रूस द्वारा सँयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन