शरद के दिनों में करेलिया की सैर
साँक्त पितेरबुर्ग के पास स्थित रूस का करेलिया प्रदेश बेहद ख़ूबसूरत है
रूस का करेलिया प्रदेश मस्क्वा (मास्को) से 1025 किलोमीटर दूर है। करेलिया प्रदेश का मतलब है, वह इलाका जहाँ जंगलों की भरमार है। करेलिया की 80 प्रतिशत ज़मीन पर जंगल उगे हुए हैं और वहाँ 60 हज़ार से ज़्यादा छोटी-बड़ी झीलें हैं। करेलिया रूसी और विदेशी पर्यटकों की प्रिय जगह है। प्राचीन किझी गिरजा-समूह, वलाम मठ-द्वीप, लादगा झील, अनेझ्स्की झील और रुसकिआल्ला संगमरमरी पार्क करेलिया के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
/ Ivan Dementievskiy
करेलिया में कुल 73 हज़ार जलाशय हैं, जो 36 हज़ार वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैले हुए हैं। इतने बड़े इलाके में मोण्टनेग्रो जैसे दो देश और लक्जेमबुर्ग जैसे तीन देश समा सकते हैं। हर साल पाँच लाख से ज़्यादा पर्यटक करेलिया को देखने और यहाँ घूमने के लिए आते हैं।
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गर्मियों में सबसे ज़्यादा मज़ा करेलिया में मच्छरों को आता है। आप चाहे छोटी-छोटी नावों पर सवार होकर करेलिया की झीलों में घूमें या किसी झील के किनारे किसी कॉटेज में रहें, मच्छर आपको नहीं छोड़ेंगे। करेलिया में गर्मियों में पर्यटकों की इतनी भीड़ होती है कि कुछ नदियों के किनारे बने दर्शनीय स्थलों पर एक साथ दर्जनों, बल्कि कहना चाहिए कि सैकड़ों पर्यटक इकट्ठे हो जाते हैं। और वे इस इलाके को ’दूरदराज का जंगली और सुनसान प्रदेश’ बतलाते हैं।
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अगस्त के मध्य में ही श्वेत सागर और बारेन्त्स सागर से बहकर आने वाली ठण्डी हवाएँ सारी गर्मी को अपने साथ बहाकर ले जाती हैं। सितम्बर और अक्तूबर में करेलिया इतना ख़ामोश और शान्त हो जाता है कि वह शान्तिप्रिय और एकान्तप्रिय पर्यटकों को बेहद अच्छा लगने लगता है। इन महीनों में नदियों और झीलों के किनारे पक्षियों की कूक भी सुनाई नहीं देती। न पर्यटकों का शोर सुनाई देता है और न ही मच्छरों की भनभनाहट।
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तूफ़ानी गर्मियों के बाद करेलिया की प्रकृति आराम करने लगती है। पेड़ों पर से रंग-बिरंगी पत्तियाँ झड़ने लगती हैं और रात में ओस व गहरा कोहरा पड़ने लगता है, जो सुबह-सुबह तम्बू पर शरद के आँसुओं के रूप में जमा दिखाई देता है।
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शरदकाल में करेलिया की यात्रा के आख़िरी दिन ठण्डी उत्तरी हवाएँ शरीर को छेदने लगती है और इस तरह वे यह सन्देश देती हैं कि जाड़े का मौसम दूर नहीं है। रात को करेलिया के आकाश में रंग-बिरंगी उत्तर-ध्रुवीय ज्योति-छटाएँ चमकने लगती हैं। सब समझ जाते हैं कि जाड़े के मौसम की तैयारी करने का वक़्त आ गया है।
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