भारत रूस का प्राथमिकता प्राप्त विशेष सहयोगी है — पूतिन
अपनी भारत-यात्रा की पूर्ववेला में व्लदीमिर पूतिन ने एक इण्टरव्यू दिया
रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन 15-16 अक्तूबर को भारत की यात्रा करेंगे। जैसाकि क्रेमलिन की प्रेस सेवा ने जानकारी दी है, भारत में व्लदीमिर पूतिन प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी से मुलाक़ात करेंगे और ब्रिक्स समूह के आठवें शिखर सम्मेलन में हिस्सेदारी करेंगे। अपनी भारत-यात्रा की पूर्ववेला में भारतीय समाचार समिति आईएएनएस और रूसी समाचार समिति रिया नोवस्ती को इण्टरव्यू देते हुए व्लदीमिर पूतिन ने रूस-भारत सहयोग की चर्चा की और बताया कि आगामी ब्रिक्स शिखर-सम्मेलन से उन्हें क्या-क्या उम्मीदें हैं।
रूस के राष्ट्रपति ने कहा — भारत रूस का विशेष प्राथमिकता प्राप्त सहयोगी है। हमारे दो देशों के बीच सभी दिशाओं में सहयोग का सफलतापूर्वक विकास हो रहा है। रूस और भारत रणनीतिक सुरक्षा को बनाए रखने और न्यायसम्मत दुनिया के निर्माण में एक-दूसरे के सहयोगी देश हैं।
ब्रिक्स शिखर-सम्मेलन में प्रमुख मुद्दा आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई
दो देशों के नेता हर साल एक-दूसरे से मुलाक़ात करते हैं। व्लदीमिर पूतिन ने कहा — भारत रूस का महत्वपूर्ण व्यापारिक सहयोगी रहा है और आज भी बना हुआ है। हालाँकि सन् 2015 में हमारे आपसी व्यापार में 7.8 प्रतिशत की कमी आई है, लेकिन इसके बावजूद रूस और भारत इस नकारात्मक प्रवृति को दूर करने के लिए कटिबद्ध हैं, जो दुनिया के बाज़ारों में होने वाले उतार-चढ़ाव और मुद्राओं की क़ीमत में दिखाई देने वाली अस्थिरताओं के कारण सामने आई है।
रूस के राष्ट्रपति ने कहा — रूस भारत में कुडनकुलम एटमी बिजलीघर का निर्माण करने में सहयोग दे रहा है। यह एक बड़ी और दीर्घकालीन परियोजना है। पिछले अगस्त के महीने में हमने भारत को कुडनकुलम बिजलीघर का पहला यूनिट सौंप दिया है। जल्दी ही दूसरा यूनिट भी पूरी ताक़त से काम करने लगेगा। आजकल कुडनकुलम में तीसरे और चौथे यूनिट पर काम किया जा रहा है। इस बिजलीघर का निर्माण रूस द्वारा भारत को उपलब्ध कराए गए ऋण के आधार पर किया जा रहा है। रूस ने इस परियोजना पर खर्च होने वाले कुल धन का 85 प्रतिशत अंश यानी 3 अरब 40 करोड़ अमरीकी डॉलर का ऋण उपलब्ध कराया है। एटमी बिजलीघरों में इस्तेमाल किए जाने वाले बहुत से उपकरण और कल-पुर्जे भारत में ही बनाए जा रहे हैं। हम भारत के कुछ अन्य प्रदेशों में भी परमाणु बिजलीघरों का निर्माण करने के लिए जगह का चुनाव कर रहे हैं। यूरेनियम के संवर्धन के क्षेत्र में भी हमने भारत के साथ तकनीकी सहयोग करना शुरू कर दिया है।
व्लदीमिर पूतिन ने कहा — आजकल हम भारत को उच्च प्रौद्योगिकी से जुड़े मालों की सप्लाई कर रहे हैं और भारत में ही उनका उत्पादन करने के लिए भारत के साथ सहयोग कर रहे हैं। इंजीनियरिंग उद्योग, रसायन उद्योग, खनन उद्योग, विमानन, औषधि उत्पादन, चिकित्सा, अभिनव जैव तक्नोलौजी आदि क्षेत्रों में हम अनेक नई और बड़ी परियोजनाओं पर भी काम कर रहे हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि रूस भारतीय बाज़ार को बड़ा आकर्षक मानता है और भारत में वास्तविक सम्भावनाएँ देख रहा है।
रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने कहा — हमारे दो देश बड़ी सक्रियता से आपस में सैन्य-तकनीकी सहयोग भी कर रहे हैं। भारत को नई से नई सैन्य तकनीक की आपूर्ति करने और भारत के साथ मिलकर नई से नई तकनीकों का निर्माण करने की दिशा में भी रूस बड़ी सक्रियता दिखा रहा है। दोनों देश मिलकर हथियारों का निर्माण कर रहे हैं। रूस और भारत ने मिलकर अतिध्वनिक (सुपरसोनिक) क्रूज मिसाइल ’ब्रह्मोस’ का निर्माण किया है और आजकल दोनों देश मिलकर पाँचवी पीढ़ी के नए लड़ाकू विमान का निर्माण करने की कोशिश कर रहे हैं।
आगामी पूतिन-मोदी वार्ता में कई बड़े रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर
रूस ने अभी तक भारतीय उद्योगों में क़रीब चार अरब डॉलर का निवेश किया है और भारतीय व्यवसायियों ने रूस की अर्थव्यवस्था में इससे क़रीब दुगुनी पूँजी का निवेश किया है। दो देशों के सँयुक्त अन्तर्सरकारी आयोग के अन्तर्गत निवेश को प्राथमिकता देने के लिए एक विशेष कार्यकारी-दल भी काम कर रहा है। इस कार्यकारी-दल ने इंजीनियरिंग उद्योग, रसायन उद्योग, विमानन और औषधि उद्योग के क्षेत्रों में कुल 20 परियोजनाओं का चुनाव किया है, जिनके विकास में दो देशों की सरकारे भी सहयोग देंगी। इनमें से 10 परियोजनाएँ रूस की हैं और 10 परियोजनाएँ भारत की हैं।
इस सप्ताह के अन्त में गोआ में ब्रिक्स समूह के देशों के नेताओं का शिखर-सम्मेलन होगा। बहुध्रुवीय दुनिया के निर्माण में ब्रिक्स-दल प्रमुख भूमिका निभा रहा है। रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने कहा — ब्रिक्स समूह के देश दबाव की नीतियों को स्वीकार नहीं करते और दूसरे देशों की सम्प्रभुता का उल्लंघन करने की नीति को भी स्वीकार नहीं करते। सीरियाई समस्या और पश्चिमी एशिया के संकट जैसी अन्तरराष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के लिए हम सबका नज़रिया एक जैसा है। हम अपने घोषणापत्रों में आम तौर पर सँयुक्त राष्ट्र संघ की प्रमुख भूमिका को स्वीकार करते हुए उसके नेतृत्व में अन्तरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने पर ज़ोर देते हैं। कुछ पश्चिमी देशों द्वारा जब अपने एकतरफ़ा नज़रिए को मनवाने के लिए दूसरे देशों पर दबाव डालने की कोशिश की जाती है तो हमारा नज़रिया विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है।
व्लदीमिर पूतिन ने कहा —नया ब्रिक्स विकास बैंक ब्रिक्स-समूह के देशों के बीच पारस्परिक सहयोग का ठोस सबूत है। इस बैंक ने ब्रिक्स समूह के सभी पाँच सदस्य देशों में अनेक नई परियोजनाओं का समर्थन करने की पुष्टि की है। बैंक ने शुरू में अक्षय ऊर्जा के उत्पादन से जुड़ी परियोजनाओं को प्राथमिकता दी है। रूस में करेलिया में 50 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने वाले छोटे-छोटे पनबिजलीघरों की योजना को ब्रिक्स विकास बैंक ने स्वीकार कर लिया है, जिसमें बैंक 10 करोड़ डॉलर का निवेश करेगा।
उन्नत तक्नोलौजी देकर रूस भारत में एटम उद्योग का विकास करेगा
रूस के राष्ट्रपति ने कहा — हमें उम्मीद है कि गोआ में होने जा रहा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आर्थिक और लोकहितकारी दिशाओं में की जाने वाली गतिविधियों के विकास के लिए नई सम्भावनाओं के द्वार खोलेगा।
रूस के राष्ट्रपति ने अपने इण्टरव्यू में विस्तार से आम सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले क़दमों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा — भारत और रूस के बीच के इलाकों में स्थिति बहुत चिन्ताजनक है। अफ़ग़ानिस्तान में परिस्थिति बेहद तनावपूर्ण बनी हुई है। अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवाद, उग्रवाद व ग़ैरकानूनी ढंग से मादक-पदार्थों के उत्पादन और उनकी तस्करी को रोकने के लिए निर्णायक कार्रवाइयाँ करने की ज़रूरत है ताकि इन सभी बुराइयों से निपटा जा सके और अफ़ग़ानिस्तान में इनका ख़ात्मा किया जा सके। हमें अफ़ग़ानिस्तान में पारस्परिक सहयोग का कोई ऐसा तरीका सोचना होगा, जिससे सामने आने वाली सुरक्षा सम्बन्धी चुनौतियों का मुक़ाबला करने और इन चुनौतियों के ख़िलाफ़ तुरन्त क़दम उठाने की सम्भावना मिले। इसके लिए शंघाई सहयोग संगठन को मुख्य भूमिका निभानी होगी।
रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने भारत-यात्रा की पूर्ववेला में दिए गए अपने इण्टरव्यू में कहा — आतंकवाद, मादक-पदार्थों की तस्करी और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए हम आपस में पूरा-पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हैं। हम अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सूचना सुरक्षा को सुनिश्चित करने और संकटों का समाधान करने के लिए मिलकर सहयोग करने के लिए तैयार हैं। दुनिया की अर्थव्यवस्था में बनी हुई अस्थिरता को देखकर हम सभी देश बेहद चिन्तित हैं। हम अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर इस सवाल पर विचार करेंगे कि दुनिया के सामने खड़ी इन चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें क्या-क्या क़दम उठाने चाहिए और कैसे अपने प्रयासों को एकजुट करना चाहिए।
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