रूस की चार तेल और गैस कम्पनियाँ दुनिया की दस प्रमुख कम्पनियों में शामिल
रूबल की क़ीमत गिरने के कारण डॉलर में रूसी कम्पनियों के खर्चे घट गए
स्टैण्डर्ड एण्ड पूअर्स ग्लोबल प्लाट्स रेटिंग एजेंसी ने हाल ही में प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में लिखा है — गैस उत्पादन के क्षेत्र में रूस का एकाधिकार है और रूस की सरकारी कम्पनी ’गाज़प्रोम’ सन् 2011 से ही दुनिया की तीन प्रमुख कम्पनियों में से एक मानी जाती है।
स्टैण्डर्ड एण्ड पूअर्स द्वारा प्रकाशित नई साख सूची में पहले नम्बर पर अमरीकी कम्पनी एक्सओनमोबिल को रखा गया है और दूसरे नम्बर पर है दक्षिण कोरियाई कम्पनी इलैक्ट्रिक पॉवर कॉरपोरेशन। और एक साल में ही रूसी कम्पनी सीधे चालीस पायदान पार करके 43 वें नम्बर से तीसरे नम्बर पर पहुँच गईं। कुल आय की दृष्टि से देखें तो रूसी गैस कम्पनी ’गाज़प्रोम’ दुनिया में नौवें स्थान पर है, लेकिन शुद्ध लाभ की दृष्टि से दुनिया में ’गाज़प्रोम’ का नम्बर एक्सओनमोबिल के बाद दूसरा है। यही नहीं, दुनिया की दस प्रमुख कम्पनियों में रूस की तीन और कम्पनियों के नाम भी शामिल किए गए हैं। इनमें से एक ’रोसनेफ़्त’ रूस की सरकारी तेल कम्पनी है और ’लूकऑयल’ व ’सुरगूतनेफ़्तिगाज़’ रूस की निजी तेल कम्पनियाँ हैं।
’स्टैण्डर्ड एण्ड पूअर्स ग्लोबल प्लाट्स’ रेटिंग एजेंसी की इस साख-सूची में उन्हीं कम्पनियों को शामिल किया जाता है, जिनकी कुल पूँजी 5 अरब डॉलर से ज़्यादा है। रूस की राजकीय कम्पनी टेलीट्रेड के प्रमुख विश्लेषक अलिक्सान्दर इगोरफ़ ने रूस-भारत संवाद को बताया — इस सूची में शामिल करने के लिए चार मुख्य बातों की ओर ध्यान दिया जाता है। ये बाते हैं — कम्पनी में किया गया पूँजी निवेश, कम्पनी की कुल आय, कम्पनी का शुद्ध लाभ और कम्पनी में किए गए निवेश पर मिलने वाला लाभ। इस तरह रूसी कम्पनियों के मूल्यांकन में किसी भी तरह के सन्देह की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती। राजकीय कम्पनी ’फ़िनाम’ के विश्लेषक और विशषज्ञ अलिक्सेय कलाच्योफ़ ने कहा — सौ साल से भी ज़्यादा पुरानी ’स्टैण्डर्ड एण्ड पूअर्स ग्लोबल प्लाट्स’ एजेंसी और आरगुस मीडिया एजेंसी, दुनिया में बस, यही दो ऐसी प्रभावशाली एजेंसियाँ हैं, जो तेल-पदार्थों और तेल के विश्व बाज़ार में सक्रिय कम्पनियों का ठीक-ठीक मूल्यांकन करती हैं।
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मुख्य कारण
’स्टैण्डर्ड एण्ड पूअर्स ग्लोबल प्लाट्स’ कम्पनी के साख-सूची बनाने वाले अधिकारियों का कहना है कि 2015 में डॉलर के सामने रूबल की क़ीमत बुरी तरह से गिर जाने की वजह से ’गाज़प्रोम’ दुनिया की दस प्रमुख कम्पनियों की सूची से बाहर हो गई थी क्योंकि कम्पनी को मिलने वाली विदेशी मुद्रा बहुत घट गई थी, कम्पनी के सामने विदेशी ऋणों का भुगतान करने और उन ऋणों की अवधि को बढ़ाने की समस्या पैदा हो गई थी। लेकिन दीर्घकालीन दृष्टि से देखें तो गाज़प्रोम को इसका बड़ा फ़ायदा हुआ क्योंकि रूबल की क़ीमत घटने से उसके देश के भीतर खर्चे घट कर आधे रह गए।
रूबल के अवमूल्यन की वजह से ही रूस की दूसरी तीन तेल कम्पनियाँ भी दुनिया की दस प्रमुख कम्पनियों की सूची में शामिल हो गईं। ’लूकऑयल’ कम्पनी तेरहवें स्थान से छठे स्थान पर पहुँच गई। ’रोसनेफ़्त’ दसवें स्थान से सातवें पर पहुँच गई। और ’सुरगूतनेफ़्तिगाज़’ कम्पनी बारहवें से नौवें स्थान पर पहुँच गई। लेकिन अगर निवेश पर प्राप्त लाभ की दृष्टि से देखें तो ’सुरगूतनेफ़्तिगाज़’ कम्पनी 20 प्रतिशत लाभ लौटाकर दुनिया में दूसरे स्थान पर आई है। इस दृष्टि से पहला स्थान भारतीय कम्पनी ’कोल इण्डिया’ का है, जिसने निवेश पर 41 प्रतिशत लाभ निवेशक को लौटाया है।
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रूस की राजकीय कम्पनी ’फ़िनाम’ के विश्लेषक और विशषज्ञ अलिक्सेय कलाच्योफ़ ने कहा — रूसी कम्पनियों ने अपने निवेशकों को विदेशी मुद्रा में जो भारी लाभ लौटाया, उसी की वजह से रूसी कम्पनियाँ इस साख-सूची में शामिल हुई हैं। रूबल के अवमूल्यन के कारण ही रूसी तेल और गैस कम्पनियाँ विदेशी कम्पनियों से काफ़ी आगे निकल गईं। देश के भीतर इन कम्पनियों के खर्चे बहुत कम हो गए क्योंकि रूबल के अवमूल्यन के मुक़ाबले खर्चों में हुई वृद्धि नगण्य ही हुई।
रूसी निवेश कम्पनी ’फ़्रीडम फ़ीनान्स’ के रूसी शेयर बाज़ार के विश्लेषक गिओर्गी वाशेन्का ने कहा — यही नहीं, दुनिया की बड़ी कम्पनियों के बीच ’गाज़प्रोम’ अकेली ऐसी कम्पनी है, जिस पर कर्ज़ का बोझ सबसे कम है, यहाँ तक कि एबिटा कम्पनी से भी कम है।
कुल नुक़सान
दुनिया में तेल की गिरती हुई क़ीमतों की वजह से दुनिया की ज़्यादातर बड़ी तेल और गैस कम्पनियों को भारी नुक़सान उठाना पड़ रहा है और इसी वजह से साख-सूची में उनका पायदान भी नीचे गया है। अमरीकी कम्पनी ’शेवरोन’और कोनोको फ़िलिप्स’, ऐंग्लो-डच कम्पनी ’शेल’ तथा चीनी कम्पनियाँ ’चाइना नेशनल ऑफ़शोर ऑयल कॉरपोरेशन’ और ’पैट्रोचाइना’ स्टैण्डर्ड एण्ड पूअर्स ग्लोबल प्लाट्स रेटिंग एजेंसी की साख-सूची के दस प्रमुख पायदानों से बाहर हो गईं।
2015 में दुनिया की 28 बड़ी ऊर्जा कम्पनियों का कुल लाभ घटकर सिर्फ़ 18 प्रतिशत रह गया। पहले उन्हें 139 अरब 34 करोड़ डॉलर का लाभ हुआ था, लेकिन वर्ष 2015 में वह घटकर सिर्फ़ 25 अरब 73 करोड़ डॉलर रह गया। रूसी समाचार एजेंसी ’आरबीके’ ने बताया है कि सन् 2002 से जब से यह साख-सूची सामने आई है, 2015 में ही इन कम्पनियों को सबसे कम लाभ हुआ है।
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