मास्को में हिन्दी भाषा के भविष्य पर विचार-विमर्श
मास्को में तृतीय क्षेत्रीय अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन सम्पन्न
सन् 2007 से लेकर अभी तक मास्को में हिन्दी भाषा का यह तीसरा वैज्ञानिक-व्यावहारिक सम्मेलन था। इस सम्मेलन में क़रीब 35-40 प्रतिष्ठित भाषा-वैज्ञानिकों, साहित्यकारों, अनुवादकों तथा अन्य हिन्दी विशेषज्ञों ने भाग लिया। ये विद्वान न केवल रूस और भारत से मस्क्वा आए थे, बल्कि रूस के आस-पास के देशों - ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, अज़रबैजान, कज़ाख़स्तान व बेलारूस से भी आए थे। मास्को हिन्दी सम्मेलन में भारतीय लेखक ओमकार नाथ कौल, लेखिका चित्रा मुद्गल, ऑनलाइन पोर्टल ‘भारतकोश’ के संस्थापक आदित्य चौधरी और केन्द्रीय हिन्दी समिति के सदस्य आचार्य यार्लगड्डा लक्षमी प्रसाद ने भी भाग लिया।
इस बार इस क्षेत्रीय अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन का आयोजन भारतीय राजदूतावास तथा जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केन्द्र के सहयोग से मास्को राजकीय विश्वविद्यालय के एशिया एवं अफ़्रीका अध्ययन संस्थान में किया गया था। तृतीय क्षेत्रीय अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन का उद्देश्य हिन्दी भाषा और उसके तकनीकी ज्ञान का विश्व स्तर पर प्रचार-प्रसार करना है। इस दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान कुल चार सत्र हुए जिनमें अनेक विषयों पर चर्चा की गई, जैसे - हिन्दी से व हिन्दी में अनुवाद की समस्याएँ, हिन्दी भाषा का शिक्षण, हिन्दी का व्याकरण और भारत तथा रूस के आसपास के विभिन्न देशों के सन्दर्भ में हिन्दी।
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हिन्दी भारत की राजभाषा तो है ही साथ ही सबसे बड़ी सम्पर्क भाषा भी है। यह विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। आजकल विश्व के लगभग सभी देशों में हिन्दी भाषा का पठन-पाठन किया जा रहा है। रूस के अलावा कई अन्य यूरोपीय और एशियाई देशों में भी हिन्दी सीखने के प्रति आम लोगों में ललक बढ़ रही है। इस तरह मास्को में हुए इस सम्मेलन में न केवल रूस में हिन्दी का अध्यापन करने से जुड़े सवालों पर विचार किया गया बल्कि रूस के पड़ोसी देशों उज़्बेकिस्तान, बेलारूस, ताजिकिस्तान, अज़रबैजान, अरमेनिया, कज़ाख़स्तान आदि में भी हिन्दी शिक्षण की परिस्थितियों पर विचार-विमर्श किया गया।
रूस और भारत : सभ्यताओं की मैत्री
मास्को को दुनिया में हिन्दी भाषा के अध्ययन-अध्यापन के प्रमुख केन्द्रों में से एक माना जाता है। मास्को में हिन्दी भाषा का अध्ययन और शिक्षण न केवल मास्को राजकीय विश्वविद्यालय के एशिया एवं अफ़्रीका अध्ययन संस्थान में बल्कि दो अन्य विश्वविद्यालयों में भी किया जाता है। ये विश्वविद्यालय हैं - मानविकी राजकीय विश्वविद्यालय तथा मास्को अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध विश्वविद्यालय। इसके साथ भारतीय दूतावास के जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केन्द्र में भी हिन्दी भाषा निःशुल्क पढ़ाई जाती है। मास्को में एक ऐसा माध्यमिक विद्यालय भी है जहाँ बच्चों को छठी कक्षा से ही हिन्दी भाषा पढ़ाई जाती है। मास्को विश्वविद्यालय में हिन्दी में बी० ए०, एम० ए० और पीएच० डी० की जा सकती है।
मास्को के अलावा रूस के सेण्ट-पीटर्सबर्ग राजकीय विश्वविद्यालय का हिन्दी विभाग भी बहुत प्रतिष्ठित है। इस विभाग के प्राध्यापकों ने तृतीय क्षेत्रीय अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में रूसी छात्रों के लिए हिन्दी भाषा की एक नई पाठ्य-पुस्तक पेश की। इसके अलावा रूस के व्लदीवस्तोक नगर में बने सुदूर-पूर्व संघीय विश्वविद्यालय में भी हिन्दी भाषा और साहित्य में बी० ए० किया जा सकता है।
रूस में व्यवस्थित रूप से हिन्दी का अध्ययन-अध्यापन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शुरू हुआ था। तब से रूसी वैज्ञानिकों द्वारा हिन्दी के अनेक शब्दकोशों और पाठ्य-पुस्तकों की रचना की जा चुकी हैं। सोवियत सत्ता काल से लेकर आज तक रूस में हिन्दी साहित्य का अनुवाद भी सक्रिय रूप से किया जाता रहा है। रूस में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के कार्य में सबसे बड़ा योगदान देने वाले भाषा-वैज्ञानिकों में से सबसे उल्लेखनीय हैं - अलिक्सेय बरान्निकफ़, वसीली बिस्क्रोव्नी, अलेग उल्तसिफ़ेरफ़, गिओर्गी ज़ोग्राफ़, व्लदीमिर लिपिरोव्स्की, येव्गेनी चेलिशेफ़, अलिक्सान्द्र सिन्केविच, ल्युदमीला ख़खलोवा, गुज़ेल स्त्रिलकोवा, येकतिरीना पानिना, आन्ना चिल्नाकोवा, यूल्या कोस्तिना आदि।
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मास्को राजकीय विश्वविद्यालय के एशिया एवं अफ़्रीका अध्ययन संस्थान में हिन्दी का अध्ययन-अध्यापन सन् 1956 से शुरू हुआ जब इसमें भारतीय भाषा विभाग खोला गया था। तृतीय क्षेत्रीय अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए एशिया एवं अफ़्रीका अध्ययन संस्थान के भारतीय भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर बरीस ज़ख़ारिन ने कहा - आजकल हमारे यहाँ भारतीय भाषा विभाग बहुत बड़ा नहीं है। उसमें केवल आठ प्राध्यापक हैं जिनमें से पाँच हिन्दी पढ़ाते हैं और शेष प्राध्यापक दूसरी भाषाएँ - जैसे उर्दू, तमिल, बांग्ला, पंजाबी और संस्कृत आदि पढ़ाते हैं। वे न केवल भाषाएँ सिखाते हैं परन्तु भाषा विज्ञान में तथा भारतीय साहित्य में शोध-अनुसंधान भी करवाते हैं।
आजकल रूस में हिन्दी भाषा तथा संस्कृति के प्रति दिलचस्पी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। मास्को राजकीय विश्वविद्यालय के एशिया एवं अफ़्रीका अध्ययन संस्थान के निदेशक ईगर अबील्गज़ीएफ़ का कहना है कि हर वर्ष एशिया एवं अफ़्रीका अध्ययन संस्थान में ऐसे छात्र बहुत बड़ी संख्या में आते है जो हिन्दी भाषा सीखना चाहते हैं। सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा - इस साल भी हमारे संस्थान में ऐसे बहुत ऐसे छात्र-छात्राएँ दाख़िल हुए हैं जो हिन्दी सीखना चाहते हैं। मेरे ख़याल में इससे यह पता लगता है कि हमारे देश में हिन्दी के प्रति रुचि लगातार बढ़ती जा रही है। और यह बात इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है चूँकि हमारे दो देशों के बीच सम्बन्ध भी लगातार मज़बूत हो रहे हैं।
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