डोनाल्ड ट्रम्प की जीत का रूस की अर्थव्यवस्था पर असर
दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियाँ घातक सिद्ध हो सकती हैं
एक ब्रोकर कम्पनी ’ब्रोकर-क्रेडिट सर्विस’ ने रूस-भारत संवाद को बताया कि 9 नवम्बर 2016 को सुबह जब शेयर बाज़ार खुला तो प्रमुख रूसी सूचकांक ’एम-एम-व-ब’ 1.44 प्रतिशत गिरकर 1939.66 अंक तक चला गया था और डॉलर सूचकांक ’आर-त-एस’ 1.5 प्रतिशत गिरकर 958.33 अंक पर आ गया था।
लेकिन दोपहर तक पासा पलट गया। सूचकांक न सिर्फ़ अपनी पुरानी स्थिति में वापिस आ गया, बल्कि वह 1.5 से 1.7 प्रतिशत बढ़कर 2000 अंकों तक पहुँच गया। यह स्थिति दुनिया के शेयर-बाज़ारों के पूरी तरह विपरीत थी, जो डोनाल्ड ट्रम्प की जीत की ख़बर सुनकर मुँह के बल नीचे आ गिरे थे। विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक इस बात को लेकर बेहद डर गए हैं कि अमरीकी विदेश नीति में बदलाव आने से अनिश्चितता और अस्थिरता पैदा हो जाएगी। लेकिन रूस के लिए डोनाल्ड ट्रम्प की जीत का मतलब है कि अमरीका द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबन्ध ढीले होने लगेंगे।
पहली प्रतिक्रिया
रूसी कम्पनी ’टेलीट्रेद’ के प्रमुख विश्लेषक अलिक्सान्दर येगोरफ़ ने कहा — रूसी निवेशक भी कुछ समय के लिए तो भौंचक हो गए थे और उन पर भी अमरीकी वायदा बाज़ार का असर पड़ा था। लेकिन चूँकि रूसी शेयर बाज़ार चुनाव परिणामों की घोषणा होने के बाद खुले थे, इसलिए तेल, सोने और डॉलर का भाव चढ़ने लगा।
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डोनाल्ड ट्रम्प की जीत की ख़बर सुनकर अन्तरराष्ट्रीय निवेशकों की पहली प्रतिक्रिया कुछ हद तक नकारात्मक थी। ’ये तोवो’ कम्पनी के रूस और स्वाधीन राज्य मण्डल के क्षेत्रीय निदेशक पाविल सलास ने कहा — अमरीका के राष्ट्रपति पद पर डोनाल्ड ट्रम्प के चुने जाने का मतलब है वित्त बाज़ार में अनिश्चितता पैदा होना। और यह अनिश्चितता दीर्घकालीन होगी। उन्होंने कहा कि अरबपति ट्रम्प का अप्रत्याशित व्यवहार निवेशकों को जोख़िम भरे रूसी बाज़ार को छोड़कर भागने और किसी सुरक्षित पनाहगाह में ठहरकर इन्तज़ार करने के लिए बाध्य करता है।
रूसी राजकीय कम्पनी फ़िनाम के वित्तीय विश्लेषक तिमूर निगमत्तुलीन ने याद दिलाया कि डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव घोषणापत्र में शामिल किया गया आर्थिक कार्यक्रम और उनके द्वारा की गई घोषणाएँ यह दिखाती हैं कि वे चीन के साथ अमरीका के व्यापार को सीमित करना चाहते हैं। यूरोसंघ के साथ भी मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने के बारे में जो बातचीत चल रही है, उसके रुक जाने का ख़तरा है। निकट भविष्य में इस तरह की कार्रवाइयों से विश्व की अर्थव्यवस्था में कुछ ठण्डापन आ सकता है।
’अत्क्रीतिए ब्रोकर’ कम्पनी के विश्लेषण विभाग के एक विशेषज्ञ दिमित्री दनीलिन ने भी तिमूर निगमत्तुलीन की इस बात से सहमत होते हुए कहा — यह देखते हुए कि पिछले दशकों में दुनिया की अर्थव्यवस्था व्यापारिक बाधाओं और प्रतिस्पर्धा को कम करने की वजह से ही विकसित हो रही थी, अब अमरीकी सरकार के इस तरह के क़दम अर्थव्यवस्था के विकास के लिए घातक सिद्ध होंगे।
दीर्घकालीन सम्भावनाएँ
निवेश कम्पनी ’फ़्रीदम फ़िनान्स’ के व्यापार विकास विभाग के अधिकारी ईगर क्ल्युश्नेफ़ ने कहा — डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति चुने जाने से विशेषज्ञों की नज़र में चीन और यूरोसंघ के मुक़ाबले रूस को काफ़ी फ़ायदा होगा। उक्रईना संकट की वजह से रूस पर लगाए गए प्रतिबन्ध ढीले किए जा सकते हैं या उन्हें पूरी तरह से हटाया जा सकता है। रूस को पसन्द करने वाले डोनाल्ड ट्रम्प, जहाँ तक मेरा ख़याल है, रूस पर लगे प्रतिबन्धों की अवधि आगे नहीं बढ़ाएँगे और यह भी संभव है कि जल्दी ही वे इन प्रतिबन्धों को पूरी तरह से समाप्त कर देंगे।
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रूसी कम्पनी ’टेलीट्रेद’ के प्रमुख विश्लेषक अलिक्सान्दर येगोरफ़ ने कहा — प्रतिबन्धों को या तो पूरी तरह से हटा लिया जाएगा या उन्हें धीरे-धीरे हटाना शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन अभी से इस तरह की बातें करना जल्दबाज़ी करना होगा। शायद ही ऐसा हो कि इन प्रतिबन्धों को हटाने के लिए लगाई गई शर्तें आने वाले समय में जल्दी ही पूरी हो जाएँगी। वहीं रूसी राजकीय कम्पनी ’फ़िनाम’ के वित्तीय विश्लेषक तिमूर निगमत्तुलीन ने याद दिलाया कि ट्रम्प ने अपने चुनाव अभियान के दौरान बार-बार यह बात दोहराई थी कि रूस के नेताओं के साथ राजनीतिक बातचीत फिर से शुरू की जानी चाहिए।
अलिक्सान्दर येगोरफ़ का कहना है कि किसी भी हालत में डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चुनाव अभियान के दौरान जो बातें कही गई थीं, उनमें और राष्ट्रपति बनने के बाद उनके द्वारा उठाए जाने वाले क़दमों में फ़र्क ज़रूर होगा। लेकिन एक बात सच है कि 2017 के साल में दुनिया की अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव आएँगे और इसका कारण न सिर्फ़ अमरीकी राजनीति का असर होगा बल्कि इसका कारण ब्रेक्ज़िट (ब्रिटेन का यूरोसंघ से बाहर निकलना) भी होगा।
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