सीरिया में आतंकवादियों पर रूस क़हर बरपा रहा है
विगत 15 नवम्बर को रूसी सेना ने सीरिया में अपने आतंकवाद विरोधी अभियान में अपने विमानवाहक युद्धपोत ’एडमिरल कुज़्नित्सोफ़’ के नेतृत्व में अपने नौसैनिक बेड़े को भी शामिल कर लिया। आतंकवादी गिरोहों ’इस्लामी राज्य’ (आईएस) और ’जेभट अन-नुसरा’ पर पिछले दिनों में किए जा रहे हमलों में रूसी विमानवाहक युद्धपोतों पर तैनात मिग-29 लड़ाकू विमान, ’बस्तिओन’ मिसाइल प्रणाली और फ़्रिगेट-युद्धपोत एडमिरल ग्रिगोरिविच भी बड़ी सक्रियता से हिस्सा ले रहे हैं।
नौसैनिक बेड़े की ज़िम्मेदारी
काले सागर में तैनात रूसी युद्धपोतों, सामरिक और सुदूर बमवर्षक विमानों तथा वायुसैनिक-अड्डे ह्मेयमिम पर तैनात लड़ाकू विमानों को यह ज़िम्मेदारी सौंपी गई है कि वे सीरियाई सेना द्वारा हैलाब (अलेप्पो) में घेर लिए गए आतंकवादी गिरोहों की घेरा तोड़कर भागने की कोशिशों को नाकाम कर दें और उन्हें नष्ट कर दें।
इसके लिए सीरिया में रूसी टोही और गुप्तचर-दल के कर्मियों की संख्या में तथा रूसी टोही उपकरणों की संख्या में काफ़ी वृद्धि कर दी गई है। सीरिया में तैनात चारवि (चालक रहित विमानों) की संख्या भी बढ़ा दी गई है और अन्तरिक्ष में तैनात टोही उपग्रहों की भी इस काम बड़ी सक्रियता से सहायता ली जा रही है।
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हमलों के उद्देश्य
रूस के रक्षा मन्त्री सिर्गेय शायगू का कहना है कि रूसी सेना द्वारा इन दिनों किए जा रहे हमलों में आतंकवादियों के शिविरों, उनके प्रशिक्षण शिविरों, उनके हथियारों के गोदामों और उनके नरसंहारक हथियारों के कारख़ानों को निशाना बनाया जा रहा है। सिर्गेय शायगू ने कहा —हमने अपने रेडियम-विकिरण, रसायन और जैविक हमलों से सुरक्षा करने वाली सैन्य-टुकड़ियों को भी सीरिया भेजा है, जो आतंकवादियों द्वारा किए जा रहे रासायनिक और ज़हरीले हमलों से सीरियाई सेना को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले हफ़्ते आतंकवादियों ने दो बार रासायनिक हमले किए। पहले हमले में सीरियाई सेना के तीन सैनिक मारे गए और 27 अस्पताल पहुँच गए और दूसरे हमले के बाद 30 आम नागरिकों और सीरियाई सैनिकों को अस्पताल में दाख़िल कराया गया है। ये दोनों हमले आतंकवादियों ने हैलाब में किए हैं।
रूस के रक्षा मन्त्रालय द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, हैलाब के दक्षिण-पश्चिम इलाके में आतंकवादियों ने सीरियाई जनता और सीरियाई सैनिकों के ख़िलाफ़ रासायनिक हमला किया है, इसके सबूत इकट्ठे कर लिए गए हैं। रूस की सरकार राहनिस (रासायनिक हथियार निषेध संगठन) की बैठक में ये सबूत पेश करने की तैयारियाँ कर रही है।
राहनिस के विशेषज्ञों को हैलाब में भी बुलाया गया है ताकि वे सीधे घटनास्थल पर ही इन सबूतों का अध्ययन कर सकें।
नए हथियार का प्रदर्शन
रूस ने एक बार फिर आतंकवादियों के ख़िलाफ़ ’कैलीबर’ क्रूज-मिसाइलों का इस्तेमाल किया है, जिनका वह सीरिया में की जा रही सैन्य-कार्रवाई के दौरान पहले भी आतंकवादी अड्डों को नेस्तानाबूद करने के लिए उपयोग कर चुका है।
ये मिसाइल कम ऊँचाई पर उड़ते हैं और दुश्मन की मिसाइल प्रतिरोधी सुरक्षा व्यवस्था को भेदकर उस ठिकाने को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं, जिसे निशाना बनाकर इस मिसाइल को छोड़ा गया है।
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इस मिसाइल पर 500 किलो का बम या 500 किलो तक विस्फोटक-सामग्री लदी होती है, जिसे लेकर वह 1500 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्यों को निशाना बना सकता है।
रूस के रक्षा मन्त्री सिर्गेय शायगू ने यह भी बताया कि सीरिया में पहली बार ओनिक्स वर्ग के मिसाइलों से लैस तटवर्ती मिसाइल प्रणाली ’बस्तिओन’ का इस्तेमाल किया जा रहा है।
’जन्मभूमि का शस्त्रागार’ नामक रूसी पत्रिका के प्रमुख सम्पादक वीक्तर मुराख़ोवस्की ने रूस-भारत संवाद से कहा — सीरिया में हम अपने हथियारों की जाँच कर रहे हैं। सीरिया में हथियारों का इस्तेमाल करके इन हथियारों के डिजाइनर हथियारों में तकनीकी सुधार कर रहे हैं और दूसरी गड़बड़ियों या ग़लतियों का भी पता लगाकर उनका आगे आधुनिकीकरण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीरिया में हो रही लड़ाई में ’बस्तिओन’ मिसाइल प्रणाली का इस्तेमाल करके उसे विदेशी बाज़ार में, विदेशी ख़रीददारों के सामने पेश करने की कोशिश की जा रही है। वीक्तर मुराख़ोवस्की ने कहा — अमरीकियों की तरह हम विदेशों में हमेशा कहीं न कहीं लड़ाई नहीं करते हैं। अभी हाल तक हम अपने ख़रीददारों को अपने हथियारों के युद्ध में इस्तेमाल के बारे में और युद्ध में उनकी सार्थक उपयोगिता के बारे में ढंग से कुछ भी बताने में असमर्थ रहते थे क्योंकि सिर्फ़ परीक्षण-मैदान में उनका इस्तेमाल करके या हथियारों की तस्वीरों और विडियो के सहारे ही उनके बेहद उपयोगी होने की गारण्टी नहीं की जा सकती है।
सीरियाई सवाल पर अमरीका से चर्चा
जैसाकि समाचार-पत्र ’इज़्वेस्तिया’ के सैन्य-समीक्षक दिमित्री सफ़ोनफ़ ने ज़ोर दिया — रूसी विमानवाहक नौसैनिक बेड़े ने सीरिया पहुँचने के एक हफ़्ते बाद ही आतंकवादियों के ख़िलाफ़ हमले करने शुरू किए, जब रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने डोनाल्ड ट्रम्प से टेलिफ़ोन पर इस बारे में बात कर ली।
दिमित्री सफ़ोनफ़ ने कहा — हमने क़रीब एक महीने तक अमरीका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव अभियान के ख़त्म हो जाने की प्रतीक्षा की। इस बीच हमने वास्तव में आतंकवादियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की। हमने हैलाब में आतंकवादियों के कब्ज़े में फँसे और आतंकवादियों द्वारा बन्धक बनाए गए लोगों को बाहर निकालने के लिए मानवीय गलियारे बनाए तथा आतंकवादियों पर हमले पूरी तरह से बन्द रखे। ऐसा लगता है कि रूस की सरकार ने अमरीका के साथ अपने रिश्ते सुधारने के लिए वाशिंगटन के साथ मिलकर ही यह निश्चय किया था।
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