क्या रूस में महिलाओं के लिए कोई धार्मिक पोशाक-नियम लागू हैं?
फ़्राँस में जहाँ मुस्लिम औरतें शरीर को ढकने वाली तरण-पोशाक बुर्कीनी पहनने के अपने अधिकार के लिए संघर्ष कर रही हैं, वहीं ईरान में औरतों ने औरतों को ज़बरदस्ती हिजाब पहनाने के सरकारी नियम के ख़िलाफ़ ’मेरी पक्की आज़ादी’ नामक अभियान चला रखा है। दोनों ही देशों में औरतें विरोध कर रही हैं। फ़्राँस में औरतें इसके लिए लड़ रही हैं कि उन्हें अपनी मर्ज़ी से यह चुनने की आज़ादी दी जाए कि वे क्या पहनना चाहती हैं। जबकि ईरान में औरतें वह कपड़ा नहीं पहनना चाहतीं, जो उन्हें सरकारी स्तर पर नियम बनाकर पहनने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
लेकिन एक-दूसरे के विरोधी ये दोनों ही आन्दोलन रूस में एकजुट हो सकते हैं। इसका कारण यह है कि अमरीकी विश्लेषण केन्द्र ’प्यू रिसर्च सेण्टर’ के अनुसार रूस दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जहाँ औरतों के लिए पोशाक पहनने के नियम बने हुए हैं, जो स्त्री को कुछ तरह के कपड़े पहनने के लिए बाध्य करते हैं, वहीं उन पर कुछ तरह के कपड़े न पहनने की रोक लगाते हैं।
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चेचनिया में औरतों के लिए ड्रेस-कोड
रूस में चेचनिया प्रदेश अकेला ऐसा इलाका है, जहाँ औरतों को हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया जाता है। हालाँकि सलाह के रूप में ही उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया जाता है। कानूनी स्तर पर ऐसा कोई नियम नहीं है कि औरतों के लिए हिजाब पहनना ज़रूरी है। कानूनी स्तर पर औरतें जैसे चाहें, वैसे कपड़े पहनकर घूम-फिर सकती हैं। लेकिन कानून अपनी जगह है और जीवन अपनी जगह। वास्तव में देखा जाए तो कोहकाफ़ के इस इलाके में, जहाँ आम तौर पर इस्लाम के अनुयायी रहते हैं, साँस्कृतिक स्तर पर औरतों के लिए ड्रेस-कोड लागू है।
यह ड्रेस-कोड 2006 में लागू हुआ था। तब चेचनिया के वर्तमान प्रमुख रमज़ान कादिरफ़ चेचनिया के मुख्यमन्त्री थे और उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह घोषणा की थी कि चेचेन औरतों को सिर ढक कर रहना चाहिए। फिर 2008 में महिला सरकारी कर्मचारियों के लिए और शिक्षा संस्थानों में काम करने वाली महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया। यही नहीं, सरकारी इमारतों और स्कूलों-कालेजों में बिना सिर ढके औरतों के घुसने पर भी पाबन्दी लगा दी गई।
उन चेचेन महिलाओं पर एयरगन से हमले किए जाने लगे, जिनकी पोशाक इस्लामी नियमों के अनुकूल नहीं होती थी। इन हमलों के बाद रूस में भारी हंगामा उठ खड़ा हुआ। चेचनिया प्रदेश के नेताओं के मौन-समर्थन से औरतों पर कुछ इस्लामी स्वयंसेवक ये हमले कर रहे थे। वे चेचनिया की राजधानी ग्रोज़्नी की सड़कों पर खुलेआम एयरगन लेकर घूमते थे और उन औरतों पर छर्रे छोड़ने लगते थे, जो स्कर्ट पहनती थीं या जिनका सिर हिजाब से ढका हुआ नहीं होता था।
इस्लामी ड्रेस-कोड अपनाने के लिए जिन औरतों को मजबूर होना पड़ा, उनमें ज़्यादातर औरतें अधेड़ या बूढ़ी हैं क्योंकि आज की किशोरियों का पालन-पोषण तो बचपन के स्कूली दिनों से ही शरियत के नियमों के अनुसार किया गया है और उन्हें शुरू से ही हिजाब पहनने और सादे कपड़े पहनने की आदत पड़ चुकी है।
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मर्दोविया और स्त्व्रपोल प्रदेशों में हिजाब का विरोध
रूस के दो अन्य प्रदेशों – मर्दोविया और स्तव्रपोल प्रदेशों में स्थिति चेचनिया के एकदम उलट है। इन प्रदेशों में स्कूलों में और अन्य शिक्षा-संस्थानों में हिजाब पहनने पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है।
रूस में इस्लाम के अध्येता रईस सुलेमानफ़ ने रूस-भारत संवाद को बताया – स्तव्रपोल में 2013 में और मर्दोविया में 2014-2015 में स्कूलों में हिजाब पहनने के सवाल पर हंगामा उठ खड़ा हुआ था। स्थानीय स्कूलों का प्रशासन यह चाहता था कि सभी बच्चे एक जैसी स्कूल-ड्रेस में स्कूल आएँ और हिजाब से सिर न ढकें। लेकिन इन इलाकों में रहने वाला मुस्लिम समुदाय और बच्चियों के माता-पिता स्कूली प्रशासन के इस आदेश का विरोध कर रहे थे। मामला अदालत में पहुँचा और अदालत ने कहा कि स्कूल में सभी बच्चों की ड्रेस एक जैसी होनी चाहिए।
2013 में स्तव्रपोल प्रदेश में हुए हंगामे के दौरान रूसी टेलीविजन के पहले चैनल पर बोलते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने भी स्कूलों में हिजाब पहनने पर रोक लगाने का समर्थन किया। व्लदीमिर पूतिन ने कहा – यह कोई अच्छी बात तो नहीं है। हर प्रदेश की अपनी संस्कृति होती है और हिजाब पहनना स्तव्रपोल की प्रादेशिक संस्कृति नहीं है, बल्कि यह तो यह दिखावा करना है कि धर्म से हमारा क्या रिश्ता है। हमारे देश में तो मुस्लिम इलाकों में भी औरतों ने कभी हिजाब नहीं पहना है। उसी साल स्तव्रपोल मे धार्मिक पोशाक पहनने पर रोक लगा दी गई।
उदारवादी ततारस्तान
रूस के मुस्लिम बहुल ततारस्तान प्रदेश को इस नज़रिए से देखें तो सारे रूस के लिए उसे एक उदाहरण के रूप में पेश किया जा सकता है। यहाँ औरतों के लिए किसी तरह का कोई धार्मिक ड्रेस-कोड नहीं है। अपने-अपने धार्मिक नज़रिए के हिसाब से औरतें कोई भी पोशाक पहनकर अपने स्कूल-कालेज या अपने दफ़्तर जा सकती हैं। वे चाहें तो हिजाब भी पहन सकती हैं और चाहें तो एड़ी तक पहुँचने वाली लम्बी स्कर्ट भी पहन सकती हैं। औरतें चाहें तो बिना सिर ढके घर से बाहर निकल सकती हैं और चाहें तो मिनी स्कर्ट पहनकर भी घूम सकती हैं। उनके पासपोर्ट या अन्य दस्तावेज़ों पर लगाई जाने वाली तस्वीरें हिजाब में भी हो सकती हैं। ततारस्तान की महिलाओं को अपनी पोशाक चुनने के ऐसे अधिकार मिले हुए हैं कि उनसे न सिर्फ़ फ़्राँस की औरतें ईर्ष्या कर सकती हैं, बल्कि ईरान की औरतें भी डाह कर सकती हैं।
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