भारतीय कम्पनी रूसी औषधि कम्पनी का अधिग्रहण करेगी
सन फार्मा ने ऐलान किया है कि वह रूस के पेंज़ा शहर में काम करने वाली औषधि निर्माण कम्पनी ‘बायोसिण्टेज़’ में सबसे बड़ी हिस्सेदार बनने पर विचार कर रही है। बायोसिण्टेज़ रूस के सबसे बड़े औषधि वितरकों में से एक ‘बायोटिक समूह’ का हिस्सा है, जिसका नियन्त्रण प्रभावशाली व्यवसायी बरीस श्पीगिल के हाथ में है। उल्लेखनीय है कि बरीस श्पीगिल सांसद में रह चुके हैं और रूस की संसद के ऊपरी सदन संघीय परिषद में 2003 से लेकर 2013 तक पेंज़ा प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
सन फार्मा के अनुसार वह 2 करोड़ 40 लाख डालर में बायोसिण्टेज़ की 85.1 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगी। इसके अलावा वह बायोसिण्टेज़ के लगभग 3 करोड़ 60 लाख डालर के कर्ज़ की ज़िम्मेदारी भी अपने ऊपर ले लेगी, जिससे इस सौदे की रक़म कुल मिलाकर 6 करोड़ डालर तक पहुँच जाएगी। आशा है कि रूस की केन्द्रीय़ एकाधिकाररोधी सेवा का अनुमोदन मिलने और अन्य शर्तों के पूरा होने के बाद 2016 के आख़िर तक यह सौदा पूरा हो जाएगा।
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अप्रैल 2015 से मार्च 2016 तक सन फार्मा की कुल आमदनी लगभग 4 अरब 30 करोड़ डालर रही। अमरीकी बाज़ार से सन फार्मा को 48 प्रतिशत आमदनी होती है, जबकि रूस और सोवियत संघ से अलग होने वाले देशों के स्वाधीन राष्ट्र संघ सहित उभरते देशों के बाज़ारों से उसे केवल 13 प्रतिशत आमदनी होती है।
सन फार्मा के उपप्रमुख आलोक संघवी ने कहा — यह अधिग्रहण सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण उभरते देशों में निवेश करने की सन फार्मा की नीति के अनुरूप है। इस सौदे के बाद हम रूस में भी स्थानीय स्तर पर तरह-तरह की दवाओं का उत्पादन कर सकेंगे, और रूस के औषधि बाज़ार में अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकेंगे।
आलोक संघवी सन फार्मा के संस्थापक व प्रबन्ध निदेशक दिलीप संघवी के पुत्र हैं। सन फार्मा ने 2014 में रैनबैक्सी लेबोरेट्रीज नामक एक अन्य बड़ी भारतीय औषधि कम्पनी का अधिग्रहण किया था, जो रूस और स्वाधीन राष्ट्र संघ के देशों के बाज़ारों में काफ़ी बड़े स्तर पर काम कर रही थी। आलोक संघवी तभी से इन देशों में सन फार्मा का व्यवसाय देख रहे हैं। रैनबैक्सी में लगभग 4अरब डालर का निवेश करके सन फार्मा भारत की सबसे बड़ी औषधि निर्माता कम्पनी बन गई और भारत के 10 प्रतिशत औषधि बाज़ार पर उसका कब्ज़ा हो गया। कुल बिक्री के आधार पर सन फार्मा दुनिया की पाँचवी सबसे बड़ी जेनरिक दवा निर्माता कम्पनी है।
मार्च 2014 के रैनबैक्सी सौदे पर टिप्पणी करते हुए सन फार्मा के प्रबन्ध निदेशक दिलीप संघवी ने रूस-भारत संवाद से कहा था – हमारी कम्पनी दुनिया के बाज़ार में और मज़बूत बनना चाहती थी। हम रूस में भी स्थानीय स्तर पर औषधि उत्पादन की सम्भावनाएँ खोज रहे थे। इसलिए अब रूसी कम्पनी बायोसिण्टेज़ के इस अधिग्रहण को रूसी बाज़ार को लेकर सन फार्मा की दीर्घकालिक रणनीति का ही अगला क़दम मानना चाहिए।
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रूस में सन फार्मा के प्रतिनिधि अर्तूर वलियेफ़ के अनुसार बायोसिण्टेज़ का अधिग्रहण सन फार्मा के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने कहा — यह अधिग्रहण रूस को लेकर सन फार्मा की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इससे आपको स्थानीय स्तर पर औषधि उत्पादन की हमारी ‘रूस 2020’ योजना का भी सटीक अन्दाजा मिलता है।
जेनरिक औषधियों का भविष्य
एक दशक से भी अधिक समय तक रूस के औषधि बाज़ार की विकास दर दस प्रतिशत से ज़्यादा रही। रूसी अर्थव्यवस्था इन दिनों विभिन्न कठिनाइयों से जूझ रही है। इसके बावजूद रूसी और विदेशी विश्लेषकों को आशा है कि रूस के औषधि बाज़ार का विकास लगातार जारी रहेगा। रूबल के आधार पर हिसाब करें, तो 2015 में रूस का औषधि बाज़ार 16 अरब डालर यानी 13 खरब 44 अरब रुपए का आँकड़ा पार कर गया है। डालर के आधार पर गणना करने पर यह आँकड़ा लगभग 10 अरब डालर पर पहुँचा है। डीएसएम समूह के अनुसार, यह आँकड़ा पिछले वर्ष के आँकड़े से 9.3प्रतिशत ज़्यादा है। अनुमान है कि 2016 में रूस के औषधि बाज़ार में 8 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
निवेश कम्पनी ’फ़िनाम’ के विश्लेषक तिमूर निग्मातूलिन का मानना है कि रूस के औषधि बाज़ार में 90 प्रतिशत से भी ज़्यादा जेनरिक दवाएँ बिकती हैं। यही नहीं, 2016 के पूर्वार्ध में जेनरिक दवाओं, विशेषकर रूस में ही उत्पादित जेनरिक दवाओं की बिक्री में बेहद वृद्धि हुई है, जबकि इसी अवधि में रूस का पूरा औषधि बाज़ार 4.2 प्रतिशत घटकर 9.6 अरब डालर पर जा पहुँचा है।
रूस के औषधि बाज़ार आज भी आयातित दवाओं के अधिकार में है। 2015 में रूस के औषधि बाज़ार में आयातित दवाओं का हिस्सा 73 प्रतिशत रहा। औषधि क्षेत्र में आयात को कम करने के लिए रूस की सरकार ने ‘फार्मा-2020’ नामक रणनीति बनाई है। डीएमएस समूह के विशेषज्ञों के अनुसार इस नीति के कारण 2015 के दौरान रूस के औषधि बाज़ार में स्थानीय स्तर पर उत्पादित दवाओं का हिस्सा बढ़कर 4 प्रतिशत हो गया है।
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