रूसी मीडिया के ख़िलाफ़ यूरोपीय संसद में पारित प्रस्ताव का मतलब
यूरोपीय संसद ने पश्चिम में रूसी मीडिया के बढ़ते प्रभाव और रूस के बढ़ते असर का विरोध किया है और रूस विरोधी प्रस्ताव पारित करके रूस विरोधी क़दम उठाने की बात कही है। प्रस्ताव में कहा गया है कि रूसी मीडिया रूस में प्रतिबन्धित आतंकवादी गिरोह ’इस्लामी राज्य’ (आईएस) के ख़िलाफ़ प्रचार करने के साथ-साथ यूरोसंघ के सदस्य देशों में ’दुश्मनी भरा प्रचार’ भी कर रहा है तथा वह इतिहास को झुठलाते हुए यूरोसंघ को तोड़ने के लिए यूरोप की विरोधी पार्टियों को वित्तीय सहायता दे रहा है। यूरोपीय संसद का कहना है कि उन कार्यक्रमों में, जिनमें यूरोसंघ और रूस दोनों भाग लेते हैं, रूस की सरकार अपने प्रतिनिधियों को बातचीत करने के लिए नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रचार करने के उद्देश्य से भेजती है।
यूरोप पर इस तरह के रूसी हमले करने वाली संस्थाओं और मीडिया की जो सूची पेश की गई है, उसमें न केवल रूसी टेलीविजन चैनल ’रशिया टुडे’ रूसी समाचार समिति ’स्पूतनिक’ और रूसी सांस्कृतिक कोष ’रूस्सकी मीर’ को शामिल किया गया है, बल्कि रूसी सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद ’रोस-सत्रूदनि-चिस्त्वा’ और रूसी सनातन गिरजे को भी जोड़ लिया गया है। इस प्रस्ताव के पक्ष में यूरोपीय संसद में 304 सांसदों ने अपना मत दिया है, जबकि 179 सांसदों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया और 208 सांसदों ने मतदान में भाग नहीं लिया और प्रस्ताव का बहिष्कार किया।
राष्ट्रपति ट्रम्प से किसी चमत्कार की आशा नहीं
सबसे ख़तरनाक तरीका?
यूरोपीय संसद के सदस्यों ने रूस के विरुद्ध जो क़दम उठाने का प्रस्ताव रखा है, उनमें सबसे पहले नाटो सन्धि संगठन के साथ यूरोसंघ के रिश्तों को और घनिष्ठ बनाना है। दूसरे क़दम के तौर पर यूरोप के निवासियों का ’सूचना-ज्ञान’ बढ़ाने की ज़िम्मेदारी उठाई गई है यानी कम्युनिज़्म या साम्यवाद के अपराधों के बारे में प्रचार-प्रसार किया जाएगा। तीसरे, उन इलाकों में, जहाँ रूसी प्रचार से प्रभावित लोग बहुतायत में रहते हैं, यूरोपीय संचार साधनों के प्रसारण बढ़ाए जाएँगे। यूरोप में रूसी प्रचार से प्रभावित ये लोग रूसी, अरबी, फ़ारसी, तुर्की, उर्दू और दूसरी कई भाषाएँ बोलते हैं। लेकिन यूरोप इन्हीं लोगों के बीच अपने प्रसारण क्यों करेगा, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है।
यह प्रस्ताव पोलैण्ड की तरफ़ से यूरोपीय संसद की सांसद और यूरोपीय संसद के तीसरे सबसे बड़े ’यूरोपीय परम्परावादी और सुधारवादी गुट’ की उपाध्यक्ष आन्ना फ़ोतिना ने रखा था, जिसका रूस के साथ सहयोग करने के समर्थक अधिकांश वामपन्थी और दक्षिणपन्थी सांसदों ने विरोध किया।
फ़्राँस की ’राष्ट्रीय मोर्चा’ पार्टी के प्रतिनिधि और रूस विरोधी प्रतिबन्धों को हटाने की माँग करने वाले यूरोपीय संसद के सदस्य जॉक ल्यूक शफ़्फ़हाउज़र ने कहा — हम अब ऐसी बेवकूफ़ियाँ करने लगे हैं कि हमने दाइश (आतंकवादी संगठन आईएस का अरबी नाम) और रूस को तराजू को एक ही पलड़े में रखना शुरू कर दिया है। हम अपना आपा खो बैठे हैं और वास्तविकता और कल्पना का फ़र्क ही भूल गए हैं।
रूस की सरकार ने भी यूरोपीय संसद के इस प्रस्ताव के विरोध में अपनी राय साफ़-साफ़ बताई। रूस के विदेश मन्त्रालय ने इस प्रस्ताव को ’गन्दे काग़ज़ का टुकड़ा’ और ’यूरोसंघ की अपराधी सूचनानीति का सबूत’ बताया। रूस की संसद ने कहा कि रूस भी इस प्रस्ताव के विरुद्ध जवाबी क़दम उठाएगा। रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने उम्मीद व्यक्त की कि मीडिया के ऊपर कोई वास्तविक रोक नहीं लगाई जाएगी। व्लदीमिर पूतिन ने कहा — ये सब हमें लोकतन्त्र सिखाने की कोशिश करते रहे हैं और आज भी कर रहे हैं... और इन लोगों से हमेशा हमें यही सुनने को मिलता रहा है कि लोकतन्त्र के ख़िलाफ़ सबसे ख़तरनाक तरीका... प्रतिबन्ध लगाना ही होता है।
यूरोसंघ की जगह अब शंसस में शामिल होना चाहे तुर्की
ब्रेकज़िट और ट्रम्प का विरोध करने की कोशिश
वास्तव में देखा जाए तो यूरोपीय संसद द्वारा पारित यह प्रस्ताव बेकार है क्योंकि इस प्रस्ताव में यूरोसंघ के देशों को सिर्फ़ सलाहें ही दी गई हैं।
रूस-भारत संवाद से बात करते हुए रूस के राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक अनुसन्धान संस्थान की विशेषज्ञ-परिषद के सदस्य अलिक्सेय ज़ूदिन ने कहा — हमें मालूम है कि यूरोपीय संसद में इस प्रस्ताव के पारित किए जाने से पहले भी यूरोसंघ के कुछ देशों में रूसी मीडिया की सक्रियता को रोकने और उसमें बाधा डालने की कोशिश की गई है। जैसे ब्रिटेन में ’रशिया टुडे’ के बैंक खातों पर रोक लगा दी गई या अमरीकी विदेश मन्त्रालय में पत्रकारों से मुलाक़ात करते हुए ’रशिया टुडे’ की एक पत्रकार के साथ अमरीकी विदेश मन्त्रालय के प्रवक्ता ने उनके सवाल का जवाब देने की जगह बदतमीजी की। यहाँ हम सिर्फ़ दो ही उदाहरण दे रहे हैं। लेकिन ऐसी घटनाएँ अक्सर होती रहती हैं। इसलिए यूरोपीय संसद में पारित प्रस्ताव के सिर्फ़ सलाह के रूप में होने से आपको यह नहीं समझना चाहिए कि यह प्रस्ताव यूँ ही पारित कर दिया गया है। दरअसल इस प्रस्ताव का भी अपना असर होगा। यह प्रस्ताव रूस को हौए के रूप में दिखाने, रूस से डराने और रूस विरोध को हवा देने के लिए पारित किया गया है।
’रशिया टुडे’ टीवी चैनल की प्रबन्ध निदेशक और मुख्य सम्पादक मर्गरीता सिमोन्यान ने रूसी समाचारपत्र ’कमेरसान्त’ से बात करते हुए कहा — अभी से कुछ भी कहना मुश्किल है कि इस प्रस्ताव का आगे क्या असर होगा। हो सकता है कि यह प्रस्ताव बाद में हमारे प्रसारण को सेंसर करने या हमारे प्रसारण का लायसेंस रद्द कर देने के रूप में सामने आ सकता है। जैसे ब्रिटेन में अभी से इस तरह की अपीलें सुनने में आ रही हैं कि उन लोगों की एक सूची बनाई जानी चाहिए, जो लोग हमारे टीवी कार्यक्रमों में हिस्सेदारी करते हैं।
रूस के राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक अनुसन्धान संस्थान की विशेषज्ञ-परिषद के सदस्य अलिक्सेय ज़ूदिन ने कहा — इस प्रस्ताव को पारित करने के पीछे राजनीतिक कारणों के साथ-साथ वित्तीय कारण भी हैं। मुझे लगता है कि इस प्रस्ताव का भारी असर होगा। विकसित लोकतान्त्रिक देशों में राजनीतिक व्यवस्था को आजकल संकट का सामना करना पड़ रहा है। आम नागरिकों और राजनीतिज्ञों के बीच बड़ा फ़र्क हो गया है। ऐसी स्थिति में वैकल्पिक उम्मीदवारों के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है, जैसे अमरीका में जनता ने डोनाल्ड ट्रम्प को प्राथमिकता दी या मल्दाविया में ईगर दोदोन को सत्ता सौंप दी या फिर ब्रिटेन में जनता ने वैकल्पिक राजनीतिक दिशा अपनाते हुए ब्रेकज़िट के पक्ष में मतदान कर दिया। उसी तरह यूरोप की जनता वैकल्पिक मीडिया के रूप में ’रशिया टुडे’ टीवी चैनल की दीवानी हो गई है। इसलिए यह मानकर चलना चाहिए कि यह प्रस्ताव भी उसी तरह का मारक असर करेगा, जिस तरह के क़दम ब्रेकज़िट को रोकने या डोनाल्ड ट्रम्प को राष्ट्रपति बनने से रोकने के लिए उठाए जा रहे हैं।
समाचारपत्र ’कमेरसान्त’ के अनुसार, यूरोपीय संसद में पारित प्रस्ताव में ’ईस्ट स्टॉरकोम टॉस्क फ़ोर्स’ को वित्तीय समर्थन बढ़ाने की सिफ़ारिश की गई है। ईस्ट स्टॉरकोम टॉस्क फ़ोर्स यूरोसंघ की विदेश ख़ुफ़िया एजेंसी का ऐसा विभाग है, जो रूसी प्रचार का जवाब देता है। प्रस्ताव में कहा गया है कि यूरोसंघ के निजी बजट से ईस्ट स्टॉरकोम टॉस्क फ़ोर्स को आठ लाख यूरो की अतिरिक्त सहायता दी जानी चाहिए।
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