रूस की सरकार ने ’रोसनेफ़्त’ कम्पनी के शेयर विदेशियों को बेचे
रूस की सरकार ने रूस की सबसे बड़ी तेल निकासी सरकारी कम्पनी ’रोसनेफ़्त’ के साढ़े 19 प्रतिशत शेयर स्वीट्जरलैण्ड के कम्पनी समूह ’ग्लेनकोर’ और कतर के निवेश कोष ’कतर इंवेस्टमेण्ट अथारिटी’ को बेच दिए हैं। यह सौदा साढ़े दस अरब यूरो में हुआ। क्रेमलिन की प्रेस सेवा के अनुसार, रोसनेफ़्त के प्रमुख ईगर सेचिन से मुलाक़ात के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने इस सौदे की घोषणा की।
तेलबाज़ार के बड़े-बड़े खिलाड़ी अचानक इस सौदे की जानकारी पाकर हतप्रभ रह गए क्योंकि अभी तक यह माना जा रहा था कि चीनी कम्पनियाँ और भारतीय कम्पनियाँ ही ’रोसनेफ़्त’ कम्पनी के शेयर ख़रीदकर उसकी हिस्सेदार बनेंगी। लेकिन चीनी और भारतीय निवेशकों ने यह माँग भी की थी कि उन्हें ’रोसनेफ़्त’ कम्पनी के संचालन में हाथ बँटाने का मौक़ा भी मिलना चाहिए। जबकि ’रोसनेफ़्त’ कम्पनी सिर्फ़ अपने शेयर बेचना चाहती थी और यह अधिकार भी चाहती थी कि भविष्य में वह अपने शेयर वापिस ख़रीद सके। लेकिन रूस के आर्थिक विकास मन्त्री अलिक्सेय उल्यूकफ़ इस सौदे में इस तरह की शर्त के ख़िलाफ़ थे। नवम्बर-2016 में उन्हें ’रोसनेफ़्त’ कम्पनी से रिश्वत माँगने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया था।
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रूसी निवेश कम्पनी ’रूस इंवेस्ट’ के विश्लेषण विभाग के प्रमुख दिमित्री बिदेनकफ़ ने कहा — इतना बड़ा सौदा सम्पन्न हो जाना यह दिखाता है कि अन्तरराष्ट्रीय निवेशक रूसी तेल निकासी कम्पनियों में निवेश करने में गहरी दिलचस्पी रखते हैं। यह इस बात का भी सबूत है कि बड़े विदेशी निवेशक रूसी शेयर बाज़ार में भी सक्रिय हैं और तरह-तरह की रणनीतियाँ अपनाने से भी उन्हें कोई परहेज नहीं है।
नए हिस्सेदार
यह सौदा पूरा होने के बाद रूस की सरकार के पास ’रोसनेफ़्त’ के पचास प्रतिशत शेयर होंगे। इसके अलावा रूस की सरकार के पास कम्पनी के तीन और शेयर होंगे। ’रोसनेफ़्त’ कम्प्पनी की मुख्य यूरोपीय सहयोगी कम्पनी ’ब्रिटिश बीपी’ के पास पहले ही ’रोसनेफ़्त’ के साढ़े 19 प्रतिशत शेयर हैं। अब पौने दस - पौने दस प्रतिशत (9.75 प्रतिशत) शेयर ’कतर इंवेस्टमेण्ट अथारिटी’ और ’ग्लेनकोर’ के पास होंगे और ’रोसनेफ़्त’ कम्पनी के बाक़ी शेयर बाज़ार में घूम रहे हैं ताकि छोटे निवेशक उनकी ख़रीद - बिक्री कर सकें।
राजकीय कम्पनी ’फ़िनाम’ के विशेषज्ञ-विश्लेषक अलिक्सेय कलच्योफ़ ने कहा — ’रोसनेफ़्त’ कम्पनी के संचालकों ने वह करतब कर दिखाया है, जिसका किसी को भी विश्वास नहीं था। उन्होंने विदेशी निवेशकों को ’रोसनेफ़्त’ के शेयर बेच दिए हैं और सारी शर्तों का भी पालन किया है।
उन्होंने कहा — यह सौदा उन्हीं क़ीमतों पर हुआ है, जो सरकार ने तय कर दी थीं। इन शेयरों को बाज़ार क़ीमतों से क़रीब 20 करोड़ डॉलर कम मूल्य पर बेचा गया है, लेकिन वह कम से कम क़ीमत भी मिल गई है, जो रूस की सरकार ने तय कर दी थी। ’किरिकोफ़ ग्रुप’ कम्पनी के प्रबन्ध निदेशक दनील किरिकोफ़ ने कहा — यही नहीं, सरकार को ऐसे हिस्सेदार मिल गए हैं, जो कम्पनी के संचालन में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
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’रोसनेफ़्त’ कम्पनी के प्रबन्धकों को वैसे ही हिस्सेदार मिल गए हैं, जैसे सहयोगियों को वे ढूँढ़ रहे थे — ’अत्क्रीतिए ब्रोकर’ (स्वतन्त्र मध्यस्थ) कम्पनी के विश्लेषण विभाग के प्रमुख कंस्तान्तिन बुशुएफ़ ने कहा — ’ग्लेनकोर’ कम्पनी पहले भी रूसी तेल कम्पनियों के साथ काम कर चुकी है और वह चाहती है कि ’रोसनेफ़्त’ कम्पनी अपनी तेल-निकासी बढ़ाए और कतर का निवेश कोष तो वैसे भी उन कम्पनियों के संचालन में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाता है, जिनमें वह पूँजी का निवेश करता है। कंस्तान्तिन बुशुएफ़ ने आगे कहा — इन कम्पनियों से अलग चीनी और भारतीय कम्पनियाँ हमेशा निवेश करने के बाद उन कम्पनियों का संचालन भी करना चाहती हैं, जिनमें वो पूंजी का निवेश करती हैं। ’रोसनेफ़्त’ कम्पनी के संचालकों ने इसीलिए चीनी और रूसी कम्पनियों को ’रोसनेफ़्त’ कम्पनी के शेयर नहीं बेचे।
बाज़ार पर असर
इस सौदे के बाद रूसी बजट का घाटा तीन प्रतिशत के आसपास बना रहेगा। अगर यह सौदा नहीं होता तो रूस के बजट का घाटा काफ़ी बढ़ गया होता। रूसी निवेश कम्पनी ’फ़्रीदम फ़िनान्स’ के रूसी शेयर बाज़ार में सौदा-संचालन विभाग के प्रमुख गिओर्गी वाषिन्का ने कहा — रूसी शेयर बाज़ार में विदेशी पूँजी निवेशकों का आगमन हमेशा एक अच्छी बात रहा है। और इस बार तो पश्चिमी निवेशक रूसी बाज़ार में पूंजी निवेश कर रहे हैं, रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबन्धों के बावजूद यह निवेश हो रहा है, इसलिए यह बेहद अच्छी बात है।
’किरिकोफ़ ग्रुप’ कम्पनी के प्रबन्ध निदेशक दनील किरिकोफ़ ने कहा — एक साल पहले रूस के राष्ट्रपति सिर्फ़ 5 खरब रूबल यानी सिर्फ़ 7.9 अरब डॉलर में ’रोसनेफ़्त’ कम्पनी के ये शेयर बेचना चाहते थे। इसके अतिरिक्त रूसी कम्पनी पाँच साल तक इन शेयरों के ख़रीददारों को तेल की आपूर्ति भी करने को तैयार थी, इस तरह यह अनुबन्ध कुल 20 अरब डॉलर का होता।
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