भारत और रूस ब्रह्मोस की मारक दूरी क्षमता बढ़ाएँगे
शुक्रवार को भारत के रक्षा राज्यमन्त्री सुभाष भाम्बरे ने बताया कि भारत और रूस के बीच इस बार पर सहमति हो गई है कि सँयुक्त रूप से बनाए जा रहे ब्रह्मोस मिसाइल की मारक दूरी क्षमता बढ़ाकर 300 किलोमीटर से ज़्यादा कर दी जाए।
विगत अक्तूबर में ही रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने यह जानकारी दी थी कि दो देशों के बीच इस बारे मेंं प्रारम्भिक सहमति हो चुकी है। गोआ में हुई दो देशों के नेताओं की शिखर-मुलाक़ात के बाद व्लदीमिर पूतिन ने कहा था कि दोनों देश ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल को और ज़्यादा आधुनिक बनाएँगे, उसकी मारक-दूरी क्षमता को बढ़ाएँगे और ज़मीन से प्रक्षेपित किए जाने वाले ब्रह्मोस मिसाइल के साथ-साथ हवा से और समुद्र से प्रक्षेपित किए जाने वाले मिसाइल भी बनाएँगे।
मिसाइल तकनीक नियन्त्रण व्यवस्था से भारत के जुड़ने के बाद रूस और भारत के बीच यह तय हो गया है कि सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की मारक-दूरी क्षमता बढ़ाकर 300 किलोमीटर से ज़्यादा कर दी जाएगी। भारत की संसद के निचले सदन लोकसभा में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए भारत के रक्षा राज्यमन्त्री सुभाष भाम्बरे ने बताया कि ब्रह्मोस मिसाइल की मारक दूरी क्षमता को 300 किलोमीटर से अधिक बढ़ाने के लिए दोनों पक्षों ने उसका तकनीकी विकास शुरू करने के प्रस्ताव से जुड़े औपचारिक सहमति पत्र पर भी हस्ताक्षर कर दिए हैं।
मिसाइल तकनीकी नियन्त्रण व्यवस्था दुनिया के 35 देशों का एक स्वायत्त संगठन है, जिसकी स्थापना 1987 में की गई थी। इस संगठन में शामिल देश परमाणु बमों के प्रसार के जोखिम को कम करने के लिए उनके वाहक मिसाइलों की तकनीक और उनसे जुड़े उपकरणों की सप्लाई पर नियन्त्रण रखते हैं। इसी साल 27 जुलाई को भारत इस संगठन का औपचारिक सदस्य बन गया है।
मिसाइल तकनीक नियन्त्रण व्यवस्था के नियमों के अनुसार 300 किलोमीटर से अधिक मारक दूरी के मिसाइलों और 500 किलोग्राम या उसके अधिक भारवाहक मिसाइलों की सप्लाई या उनके निर्माण और उत्पादन की तकनीक की सप्लाई पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है।
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