येलेना रेरिख़ का कहना था – कलिम्पोंग ही मेरा घर है
रहस्यमयी रेरिख़ परिवार के सदस्यों को यह विश्वास था कि गुरु मोरया उनका पथ-प्रदर्शन करते हैं। उल्लेखनीय है कि गुरु मोरया थियोसॉफिकल सोसाइटी (ब्रह्मविद्या सभा) की संस्थापक येलेना ब्लावत्स्कया के भी गुरु थे। 1947 में निकलाय रेरिख़ के देहान्त के बाद उनकी पत्नी येलेना रेरिख़ ने भारत में ही रहकर अपने परिवार के कामों को आगे बढ़ाने का फ़ैसला किया। येलेना रेरिख़ न सिर्फ़ निकलाय रेरिख़ की जीवनसंगिनी थीं, बल्कि वे स्वयं भी एक महान लेखिका, कवि और दार्शनिक थीं।
Читать дальше...