रूस सीरिया में अपने नए मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा है
रूस ने एक नया टैंकरोधी मिसाइल बनाया है
समाचार पत्र इज़्वेस्तिया ने जानकारी दी है कि रूसी लड़ाकू हैलिकॉप्टर केए-52के सीरिया में सक्रिय आतंकवादी गिरोह ’इस्लामी राज्य’ (इरा) के ख़िलाफ़ सुदूर मार करने वाले टैंकरोधी निर्देशित मिसाइलों ’गेरमेस’ का इस्तेमाल करेंगे।
रूसी रक्षा उद्योग में अपने सूत्रों के हवाले से समाचार पत्र ने लिखा है – युद्ध की परिस्थितियों में इस मिसाइल का इस्तेमाल करके जो परिणाम सामने आएँगे, उनके आधार पर इस नए क़िस्म के मिसाइल में ज़रूरी सुधार किए जाएँगे। ’गेरमेस’ नामक इस मिसाइल को रूसी लड़ाकू हैलिकॉप्टर ’अल्लिगातर’ पर तैनात किए जाने वाले ’प्रमुख हथियार’ की हैसियत दी जाएगी।
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’गेरमेस’ कैसा मिसाइल है और क्या करता है
समाचार पत्र ’इज़्वेस्तिया’ के अनुसार, इस नए हथियार से लड़ाकू हैलिकॉप्टर केए-52के यानी ’अल्लिगातर’ 30 किलोमीटर दूर स्थित दुश्मन के टैंकों, उसके सुदृढ़ मोर्चों और दुर्गों तथा उसके सैनिकों को नष्ट कर सकता है। जबकि ’अताका’, वीख़र और ’हैलफ़ायर’ आदि ’इसी तरह के दूसरे रूसी और विदेशी मिसाइल सिर्फ़ दस किलोमीटर तक या उससे भी कम दूरी तक ही मार कर पाते हैं।
रूसी सेना के एक भूतपूर्व कर्नल और तास समाचार समिति के सैन्य-विशेषज्ञ वीक्तर लितोफ़किन का कहना है कि ’गेरमेस’ मिसाइल का इस्तेमाल दुश्मन के उन्हीं मोर्चों और टिकानों को नष्ट करने के लिए किया जाएगा, जो ख़ूब अच्छी तरह से सुरक्षित होंगे, जैसे देसी बम बनाने की वर्कशापें, हथियारों का उत्पादन करने वाले कारख़ाने, हथियारों के गोदाम, कमान केन्द्र या गोलाबारी करने के लिए बनाए गए अस्थाई केन्द्र आदि।
उन्होंने कहा – सीरिया में युद्ध की स्थिति में इस मिसाइल का इस्तेमाल करने के बाद ही यह तय किया जाएगा कि इस मिसाइल में कोई सुधार करने या उसे उन्नत करने की ज़रूरत है या नहीं। अगर ’गेरमेस’ मिसाइल ठीक-ठाक काम करेगा तो उसे इसी हालत में सेना में शामिल कर लिया जाएगा।
’गेरमेस’ की ख़ासियतें
रूस-भारत संवाद ने इस सिलसिले में जिन सैन्य-विशेषज्ञों से बातचीत की, उन सभी ने कहा कि इस मिसाइल की प्रमुख विशेषता यह है कि यह उन लक्ष्यों की पहचान ख़ुद कर लेता है, जिन्हें इसे निशाना बनाना होता है। यह मिसाइल अपने एक सिरे पर लगी इन्फ्रारेड किरणों और लेजर मार्गदर्शन चैनल की वजह से ख़ुद अपनी दिशा सुनिश्चित करने और दुश्मन के टैंकों व बख़्तरबन्द गाड़ियों को उस स्थिति में भी निशाना बनाने में सक्षम है, जब वे उड़ते हुए हैलिकॉप्टर से दिखाई नहीं पड़ रहीं हैं।
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रूस के रक्षा मन्त्रालय के एक सूत्र ने रूस-भारत संवाद से बातचीत करते हुए कहा – पहिएवाली गाड़ियों पर लगाए जा सकने वाले इज़रायली मिसाइल स्पाइक-एनएलओएस भी इसी तरह के सामरिक उद्देश्यों को पूरा कर सकते हैं, लेकिन रूसी मिसाइल ’गेरमेस’ का इस्तेमाल सिर्फ़ ज़मीनी चेनदार टैंकों से ही नहीं बल्कि हैलिकॉप्टरों और युद्धपोतों से भी किया जा सकता है। इस तरह रूसी मिसाइल बहुपयोगी है।
सूत्र ने कहा – इस मिसाइल से जुड़ी औपचारिक जानकारियाँ तभी उपलब्ध कराई जाएँगी, जब इसे सेना में शामिल कर लिया जाएगा। अभी तो बस, यही कहा जा सकता है कि इसकी मारक-दूरी क्षमता इसी तरह के विदेशी टैंकरोधी मिसाइलों से कई गुनी ज़्यादा है। इस तरह के विदेशी मिसाइल तो अधिकतम दस किलोमीटर की दूरी तक ही मार कर सकते हैं।
सूत्र ने कहा – इस मिसाइल में संचयी विस्फोट करने वाला बम भी लगाया जा सकता है और खील-खील होकर बिखर जाने वाला विखण्डित बम भी।
युद्धपोतों पर तैनात किया जाने वाला हैलिकॉप्टर केए-52के
लड़ाकू हैलिकॉप्टर केए-52 ’कतरान’ का निर्माण फ़्राँसीसी हैलिकॉप्टर वाहक युद्धपोत ’मिस्त्राल’ पर तैनात करने के लिए किया गया था।
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लेकिन सैन्य विज्ञान अकादमी के प्रोफ़ेसर वदीम कज़्यूलिन के अनुसार, नाटो के अपने सहयोगियों द्वारा दबाव डालने के कारण फ़्राँस के राष्ट्रपति फ़्राँसुआ ओलान्द को उस अनुबन्ध की पूर्ति करने से इन्कार कर देना पड़ा, जिसके अनुसार फ़्राँस को दो ’मिस्त्राल’ हैलिकॉप्टरवाहक युद्धपोत रूस को सप्लाई करने थे। इसका परिणाम यह हुआ कि रूस के लिए बनाए गए ,मिस्त्राल’ युद्धपोत मिस्र ने ख़रीद लिए और इसके तुरन्त बाद मिस्र ने रूस को 50 कतरान हैलिकॉप्टरों की सप्लाई करने का आर्डर दे दिया।
रूस ने अपने शेष बचे हैलिकॉप्टरों को अपने विमानवाहक युद्धपोत ’एडमिरल कुज़नित्सोफ़’ पर तैनात कर दिया और अब इस साल के आख़िर में इन हैलिकॉप्टरों का युद्ध की स्थिति में परीक्षण किया जाएगा।
सैन्य विज्ञान अकादमी के प्रोफ़ेसर वदीम कज़्यूलिन ने कहा – थल सेना में शामिल किए गए केए-52 हैलिकॉप्टरों ने सीरियाई सैन्य अभियान में सफलतापूर्वक अपनी सभी ज़िम्मेदारियों को पूरा किया है। अब लड़ाकू हैलिकॉप्टर केए-52 ’कतरान’ भी रूसी हथियारों के ख़रीददारों के सामने अपनी युद्ध-क्षमता का प्रदर्शन करेंगे।
ये हैलिकॉप्टर हवा से हवा में मार करने वाले आर-73 और हवा से ज़मीन पर मार करने वाले निर्देशनविहीन ’ईग्ला वी’ मिसाइलों तथा टैंकरोधी मिसाइलों ’गेरमेस’ का इस्तेमाल करने में सक्षम हैं।
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